चली गोली देगी असलहे का पता, रामनगर विधि विज्ञान प्रयोगशाला में शुरू होगी फायर आम्र्स की जांच
घटना को अंजाम देने के लिए अपराधियों ने किस असलहे का इस्तेमाल किया उसमें कौन सी गोली थी और बुलेट की मारक क्षमता कितनी थी यह सब पता लगाना अब आसान होगा।
वाराणसी [विनोद पांडेय]। कितनी दूर से फायर झोंका गया, घटना को अंजाम देने के लिए अपराधियों ने किस असलहे का इस्तेमाल किया, उसमें कौन सी गोली थी और बुलेट की मारक क्षमता कितनी थी, यह सब पता लगाना अब आसान होगा। जी हां, विधि विज्ञान प्रयोगशाला रामनगर में बैलेस्टिक अनुभाग (फायर आम्र्स की जांच) स्थापित किया जा रहा है। इसका निर्माण आगामी अप्रैल तक पूरा हो जाएगा। वाराणसी पुलिस की मुश्किलें भी कम होंगी और 26 थानों की पुलिस को भी इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
प्रयोगशाला के प्रभारी और डिप्टी डायरेक्टर आलोक शुक्ल ने बताया कि किसी भी वारदात की तह तक पहुंचने के लिए बैलेस्टिक जांच महत्वपूर्ण होती है। यह अनुभाग खुल जाने पर कई जिलों की पुलिस को इसका लाभ मिलेगा। अब तक इसकी जांच के लिए लखनऊ जाना पड़ता है।
बेसमेंट में बन रहा फायरिंग रेंज
दो मंजिले विधि विज्ञान प्रयोगशाला की बेसमेंट में फायरिंग रेंज तैयार किया जा रहा है। सभी सेटअप तैयार हो रहे हैं। जांच में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो, इसका परीक्षण किया जा रहा है।
जांच के लिए एक्सपर्ट करेंगे फायरिंग
प्रयोगशाला में पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए उस असलहे की गहन जांच की जाएगी, जिससे अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया। यही नहीं, प्रयोगशाला के एक्सपर्ट असलहे से फायरिंग कर यह भी जांचेंगे कि मृतक के शरीर से निकाली गोली उसी असलहे से चली है या किसी अन्य से।
स्ट्रांग रूम की त्रिस्तरीय सुरक्षा
बेसमेंट में स्थापित स्ट्रांग रूम की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। यहां त्रिस्तरीय सुरक्षा होगी। रूम में पहले गेट, फिर शटर और उसके बाद चैनल होंगे। इस रूम में प्रवेश के लिए पहले प्रयोगशाला के अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।
चल रहे विशेष अनुभाग
- रासायन अनुभाग
- भैतिक अनुभाग
- प्रलेख अनुभाग
- सिरोलॉजी अनुभाग
- बायोलॉजी अनुभाग
- विष अनुभाग
- साइबर अनुभाग