बीएचयू में संसाधनों के अभाव का खेल, आपातकाल फेल Varanasi news
पुलिस की मौजूदगी में आरोपी की कार को आग के हवाले कर दिया गया। जब तक फायर ब्रिगेड पहुंची कार जल चुकी थी।
वाराणसी, [रवि पांडेय]। बीएचयू परिसर में शनिवार को तेज रफ्तार कार व बाइक में टक्कर के बाद एक छात्र के मौत की फैली अफवाह ने युवाओं को आक्रोशित कर दिया। पुलिस की मौजूदगी में आरोपी की कार को आग के हवाले कर दिया गया। जब तक फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचकर आग बुझाती, कार व बाइक जलकर खाक हो चुकी थी।
दुर्घटना करीब दो बजे हुई और तीन बजे गाड़ी को फूंका गया। गाड़ी करीब 4.30 बजे तक जलती रही। इसके बाद पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने आग बुझाया और क्रेन से मलबे को किनारे किया गया। बीएचयू परिसर में हेलीपैड के साथ ही ट्रामा सेंटर, सर सुंदरलाल अस्पताल, निर्माणाधीन मल्टीस्पेशलिटी सेंटर, मंदिर व लाइब्रेरी है, जिनके लिए कभी भी आपात स्थिति में क्रेन व फायर वैन की जरूरत पड़ सकती है। वहीं 1300 एकड़ में फैले बीएचयू परिसर में छह संस्थान, 14 संकाय व 140 विभाग हैं। करीब 40 हजार छात्र-छात्राएं यहां अध्ययन करते हैं। आंतरिक सुरक्षा पर सालाना करीब दस करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। मगर छोटी-छोटी घटनाएं कई बार बड़ा रूप धर लेती हैं जिसके बाद आगजनी, तोड़-फोड़ भी होती है। वर्ष 2017-18 में ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिनसे निबटने में विश्वविद्यालय प्रशासन नाकाम साबित रहा।
''इस पर पहले भी कई बार विचार किया गया है। फायर वैन, क्रेन, कर्मचारी यानी पूरे सेटअप में खर्च अधिक है। जरूरत पडऩे पर फायर विभाग की मदद ली जाती है। ऐसे में अलग से मुकम्मल सेटअप की दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।''
- प्रो. ओपी राय, चीफ प्राक्टर-बीएचयू ।
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