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फायर स्टेशन अफसर डा. बी एन पटेल बोले - 'जागरूक रहेंगे तो अगलगी की घटनाएं होंगी न्यूनतम'

गर्मी में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इस पर काबू पाने के लिए संसाधनों के अलावा जागरूकता की भी आवश्यकता रहती है। अगर आप जागरूक हैं तो ऐसी घटनाओं को न्यूनतम किया जा सकता है। सावधानी बरतने की जरूरत है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 07:48 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 08:08 PM (IST)
फायर स्टेशन अफसर डा. बी एन पटेल बोले - 'जागरूक रहेंगे तो अगलगी की घटनाएं होंगी न्यूनतम'
आग पर काबू पाने के लिए संसाधनों के अलावा जागरूकता की भी आवश्यकता रहती है।

वाराणसी, जेएनएन। गर्मी में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इस पर काबू पाने के लिए संसाधनों के अलावा जागरूकता की भी आवश्यकता रहती है। अगर आप जागरूक हैं तो ऐसी घटनाओं को न्यूनतम किया जा सकता है। सावधानी बरतने की जरूरत है। दूरदराज व घने इलाकों, तंग गलियों में आग पर काबू पाना बड़े जोखिम का काम है। हालांकि, आधुनिक संसाधन विकसित होने से उन जगहों पर भी अग्निशमन विभाग की पहुंच आसानी से हो जा रही है।

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हमारे पास अब छोटी गाडिय़ों के अलावा दो पहिया वाहन भी हैं जिनसे तंग गलियों में पहुंच कर राहत कार्य किए जा रहे हैं। दूरदराज के इलाकों में अगलगी की समस्याओं से निपटने के लिए तहसील स्तर पर भी फायर स्टेशन खोलने की प्रक्रिया शुरू की गई है। सीजनल घटनाओं के लिए रोहनिया, बड़ागांव व चोलापुर थानों पर अग्निशमन विभाग की ड्यूटी लगाई गई है। अगलगी के संबंध में दैनिक जागरण के कार्यक्रम प्रश्न पहर में फायर स्टेशन अफसर डा. बीएन पटेल ने पाठकों की जिज्ञासा को शांत किया।

दूर दराज क्षेत्र में आग लगने पर सूचना के बाद अग्निशमन की गाडिय़ों को पहुंचने में बहुत देर लगती है। यहां तक कि आग भी बुझ जाती है।

- सही बात है लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए एक मार्च से 30 जून तक देहात क्षेत्र के थानों पर सीजनल ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा सूचना के बाद लोगों को खुद भी आस-पास के तालाबों से पानी लेकर आग बुझाने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए। 

शहर में कूड़ों में आग लगने की घटनाओं को कैसे रोका जाए। इससे प्रदूषण भी फैलता है और आस-पास के घरों में भी आग लगने की आशंका बढ़ जाती है।

- शहर में 60 फीसद आग कूड़े में ही लग रही है। लोग गंदगी साफ करने के लिए कूड़े में आग लगा देते हैं या जलती सिगरेट या बीड़ी फेंकने से कूड़े में आग पकड़ लेती है। इसके लिए अग्निशमन विभाग नगर निगम व प्रदूषण विभाग के साथ संयुक्त अभियान चलाता है।

बनारस गलियों का शहर है, ऐसे में घरों में आग लगने पर क्या करना चाहिए।

-सबसे पहले घर से सभी सदस्यों को बाहर निकाल लें, बिजली काट दें। आग बुझाने के संसाधन हों तो उनका प्रयोग करें। गैस सिलेंडर की आग हो तो उसे जलने दें और आस-पास ज्वलनशील पदार्थ हों तो उसे वहां से हटा दें। इसमें जागरूकता भी जरूरी है, जैसे सिलेंडर के रेग्युलेटर व पाइप की जांच बराबर करें। हर छह माह पर पाइप व रेग्युलेटर को बदलते रहना चाहिए। 

घरेलू आग से कैसे सुरक्षा की जाए।

- घरेलू आग से सुरक्षा के लिए सबसे सावधानी बरतनी चाहिए। बिजली की आग है तो पानी मत डालें। ज्वलनशील पदार्थ हो तो उसे हटा दें। इससे आग फैलेगी नहीं।

ट्रांसफार्मर में लगी आग को कैसे बुझाया जाता है।

- ट्रांसफार्मर में मिनरल आयल होता है, जिस पर पानी से काबू नहीं पाया जा सकता है। इसके लिए पानी के साथ झाग मिलाकर उस पर काबू पाया जा सकता है। वह आग को ढक लेता है। 

बिजली व तेल की आग बुझाने के लिए क्या इंतजाम होने चाहिए। 

- बिजली व तेल से आग लगने पर उसे बुझाने के अलग-अलग मानक होते हैं। बिजली से लगी आग को बुझाने में एक विशेष पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। इस पाउडर में सोडियम बाई कार्बोनेट व मोनो अमोनियम फास्फेट होता है। तेल से लगी आग में झाग का प्रयोग, जबकि कंप्यूटर आदि में लगी आग के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। घरों या कार्यालयों में एमसीबी का प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे शार्ट सर्किट होने पर बिजली अपने आप कट जाती है। 

इन्होंने पूछे सवाल

मीरजापुर से पुष्पेंद्र सिंह, महमूरगंज से अंशुमान मालवीय, जैतपुरा के वीरेंद्र कुमार गुप्ता, मैनपुर-करंडा गाजीपुर के हरिओम दुबे, नारायनपुर-चुनार मीरजापुर के बबलू ङ्क्षसह, सैदानी-जौनपुर के शिवशंकर यादव, कठार-गाजीपुर के सतीश चंद्र पांडेय, खुज्जी मोड़ जौनपुर के दामन कुमार। 


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