बनारस में हैं तंग गलियों में बसे बड़े बाजार, आग लगने पर आखिरकार कैसे बच सकेगी लोगों की जान
तंग गलियों में होने वाला कारोबार फायर ब्रिगेड के लिए सबसे बड़ी मुसीबत तब खड़ी करता है जब कहीं आग लग जाती है।
वाराणसी, जेएनएन। दिल्ली में रविवार तड़के फिल्मिस्तान इलाके में अनाज मंडी में अवैध रूप से संचालित स्कूल बैग, कैप समेत कपड़े का सामान बनाने वाली एक फैक्ट्री में भीषण आग से 45 से अधिक लोगों की मौत हो गई। तंग गलियों में होने वाला कारोबार फायर ब्रिगेड के लिए सबसे बड़ी मुसीबत तब खड़ी करता है जब कहीं आग लग जाती है। फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बनारस को गलियों को शहर कहा जाता है। बनारस में पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा, मसाला, सोना-चांदी की मंडी से लेकर अन्य प्रमुख कारोबार यहां गलियों में ही होता है। इन गलियों में जब आग लगती है तब फायर ब्रिगेड के लिए आग पर काबू पाने से अधिक उस स्थान पर पहुंचने की चुनौती अधिक रहती है। यहां की तंग गलियां कुछ ऐसी हैं कि बिना कंधे से कंधा रगड़े आप चल नहीं सकते हैं। ऐसा नहीं कि इन गलियों में आग नहीं लगती। आग लगती है तो फिर उसपर काबू पाने में फायर ब्रिगेड के जवानों को खूब मेहनत करनी पड़ती है।
होता रहा विरोध, नहीं बढ़ पाई बात आगे
दूध, दवा, अनाज, मसाला, सराफा से लेकर अन्य सभी प्रमुख मंडियां शहर की घनी आबादी के बीच है। पूरे पूर्वांचल के कारोबारी आते हैं। वाराणसी के विस्तार के क्रम में नगर की कई मंडियों को शहर से निकालने की कोशिश तो हुई लेकिन विरोध के चलते मामला ठंडा पड़ गया। विरोध के चलते कई मंडिय़ों के बाहर जाने के फाइल दबती चली गई।
होटल भी गलियों में
घाट किनारे तंग गलियों में सैकड़ों की संख्या में होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला मौजूद हैं। इनमें आग लगने पर सबसे बड़ा संकट वहां ठहरे लोगों को सुरक्षित निकालने का रहता है। मानक के विपरित संचालित होटल, गेस्ट हाउसों को बंद करने के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया आज तक।
सूरत हादसे के बाद जागा था फायर ब्रिगेड, फिर सो गया - सूरत में बीते मई माह में एक काम्प्लेक्स में संचालित कोचिंग सेंटर में लगी आग में छात्रों की मौत के बाद यहां भी फायर ब्रिगेड नींद से जागा था। बनारस की तंग गलियों में चलने वाले कोचिंग सेंटरों की जांच-पड़ताल की गई लेकिन कुछ दिनों की कसरत के बाद फिर जोश ठंडा हो गया। आज भी नगर क्षेत्र में तंग गलियों में अग्निशमन के उपाय अपनाए बिना कोचिंग सेंटर धड़ल्ले से चल रहे।
- दिवाली के दिन ही लगी थी रेशम कटरा में आग- छोटी दिवाली की रात रेशम कटरा में चुनरी की दुकान में विद्युत शार्ट सर्किट से आग लग गई थी। जान का तो नुकसान नहीं हुआ लेकिन 50 लाख से अधिक का माल जल गया था।
- 07 जून को नई सड़क-औरंगाबाद स्थित गली में संचालित होटल में आग लग गई थी। होटल की तीसरी मंजिल में जब आग लगी, उस समय कई विदेशी वहां मौजूद थे। गली में होटल होने के कारण फायर ब्रिगेड को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
- 29 अप्रैल को पहडिय़ा फल एवं सब्जी मंडी में आग लगने से लाखों रुपये के सब्जी, फल के साथ ही कई वाहन भी जलकर हो गए थे राख।
- 21 नवंबर 2018 को महमूरगंज स्थित एक अपार्टमेंट की छठी मंजिल में आग लगने से 15 वर्षीय कक्षा दस के छात्र धु्रव की मौत हो गई थी।
- 15 नवंबर को सिगरा स्थित अगरबत्ती के कारखाने में आग लग गई थी।
बोले अधिकारी
गलियों में आग लगने पर फायर ब्रिगेड के लिए बड़ी चुनौती है। जवानों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। सरकार की ओर बाइक फायर फाइटर तो हैं लेकिन आग जब विकराल रूप लेती है तब मुश्किल होती है।
योगेंद्र कुमार चौरसिया, अग्निशमन अधिकारी।
गलियों में प्रमुख बाजार या मंडी : विश्वनाथ गली, हड़हा सराय, दालमंडी, ठठेरी बाजार, खोवा गली, सप्तसागर दवा मंडी, गोला दीनानाथ, कचौड़ी गली, रानीकुआं, नारियल बाजार, रेशम कटरा, कोदई चौकी, पानदरीबा
अग्निशमन विभाग के पास मौजूद संसाधन
-वाटर वाउजर- 02
- वाटर टेंडर/वाउजर- 01
- फोम टेंडर- 02
- वाटर टेंडर बड़ा - 05
- वाटर टेंडर छोटा - 04
- वाटर टेंडर हाई प्रेशर- 01
- रेस्क्यू टेंडर - 01
- एडवांस रेस्क्यू टेंडर- 01
- हाइड्रोलिक प्लेटफार्म- 01
- वाटर मिस्ट वाहन- 09
- बाइक दस्ता - 09