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इस बार क्रेटा एसयूवी में चलते - चलते लग गई आग, धू-धू कर जलने लगी गाड़ी तो फंस गए पिता-पुत्र

आपकी सफल सुखद और मंगलमय यात्रा में बाधा सिर्फ दूसरे वाहन और खराब सड़क ही नहीं बल्कि आपकी कार भी आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 08:50 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 06:49 PM (IST)
इस बार क्रेटा एसयूवी में चलते - चलते लग गई आग, धू-धू कर जलने लगी गाड़ी तो फंस गए पिता-पुत्र
इस बार क्रेटा एसयूवी में चलते - चलते लग गई आग, धू-धू कर जलने लगी गाड़ी तो फंस गए पिता-पुत्र

मऊ, जेएनएन। आपकी सफल, सुखद और मंगलमय यात्रा में बाधा सिर्फ दूसरे वाहन और खराब सड़क ही नहीं बल्कि आपकी कार भी आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है। कुछ ऐसा ही मामला रविवार की देर रात मऊ जिले के पलिगढ़ में सामने आया। हालांकि जाके राखे साइयां मार सके न कोय की कहावत यहां स्‍पष्‍ट दिखी और कार हादसे के बाद भी लोग समय रहते कार ने निकल गए और किसी तरह जान बच गई। रविवार की रात साढ़े आठ बजे स्थानीय गाव में जब एक रिश्तेदार के तिलक में जा रही क्रेटा गाड़ी रिश्तेदार के घर से डेढ़ सौ मीटर पहले धोबी बस्ती के पास इंजन से उठी लपट देखते ही देखते आग के गोले में बदल गई।

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देखते ही देखते आग का गोला बनी गाड़ी धू धू कर जलने लगी। चीख पुकार सुनकर धोबी बस्ती के लोग पानी से आग पर किसी तरह से काबू पाए जिसमें पिता को बैठाकर स्वयं चला रहे गाड़ी मालिक की जान बाल-बाल बच गई। सरायलखंसी के पलिगढ़ ग्रामसभा में बेचन सिंह के यहां तिलक का मांगलिक कार्यक्रम था जिसमें शामिल होने उनके रिश्तेदार आजमगढ़ के कोतवाली थाना क्षेत्र के करीमुद्दीनपुर (बलरामपुर) निवासी राजनारायण सिंह जा रहे थे। जबकि गाड़ी उनके पुत्र प्रदीप कुमार सिंह स्वयं चला रहे थे। उक्त गांव में बेचन सिंह के घर से तकरीबन डेढ़ सौ मीटर की दूरी रह गई थी तभी अचानक गाड़ी में आग लग गई। आग इतनी व्‍यापक थी कि मानो आग के गोले में पूरा वाहन ही समाने को आतुर हो।

यह तो अच्छा रहा कि घटना धोबी बस्ती के निकट होने के कारण चीख पुकार सुनकर बस्ती के लोग मिलकर कोई बाल्टी से तो वहीं पूर्व प्रधानपति हरेराम कन्नौजिया ने सबमर्सिबल पंप चलाकर आग पर नियंत्रण किया। हालांकि तब तक क्रेटा गाड़ी के इंजन सहित अगला भाग पूरी तरह से जल चुका था। गाड़ी मालिक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि उक्त गाड़ी छ: माह पूर्व खरीदी गई थी। उक्त घटना को अपने आंख के सामने देखकर बस्ती का हर कोई दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर था। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार जिस तरह भीषण आग में पिता पुत्र फंसे थे अगर यहां लोगों की बस्ती नहीं होती तो दोनों का ही बचना नामुमकिन था।


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