त्रयोदशाह में गैस रिसाव से लगी आग, सात की मौत
आजमगढ़ में रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटवा के चकबगाली गाव में गैस सिलेंडर धमाके में चार महिलाओं की मौत हो गई।
आजमगढ़ : रानी की सराय थाना क्षेत्र के कोटवा चकबंगाली गाव में सोमवार की दोपहर को तेरही के भंडारे में गैस सिलेंडर में रिसाव से आग लग गई। जिससे दम घुटने से सास-बहू समेत छह लोगों की मौके पर मौत हो गई। मृतकों में दो बच्चों के अलावा चार अन्य महिलाएं भी शामिल हैं। जबकि देर शाम मृतका के देवर ने भी सदमे में दम तोड़ दिया। जबकि एक किशोरी की हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कोटवा चकबंगाली गाव निवासी महेंद्र राम की मा रामताजी देवी का जीवित हालत में होने के बाद भी तेरही के भंडारे का सोमवार की शाम को आयोजन था। भंडारे में शामिल होने के लिए उनके नाते रिश्तेदार भी जुटे हुए थे। दोपहर लगभग सवा एक बजे घर के पास स्थित एक कमरे में भोजन बन रहा था। पास पड़ोस के लोगों का कहना है कि भोजन बनाते समय टिन शेड में रखे गैस सिलेंडर के रिसाव से अचानक आग लग गई। आग लगने के बाद सभी महिलाएं पास के एक कमरे में भागकर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। इधर आग कमरे के बाहर चारों तरफ फैल चुकी थी। जिससे कमरे के अंदर मौजूद 85 वर्षीय रामताजी देवी, पत्नी बालेश्वर राम, उसकी बहू 48 वर्षीय कविता पत्नी महेंद्र सभी ग्राम कोटवा चकबंगाली निवासी के अलावा उनके रिश्तेदार 55 वर्षीय तारा देवी पत्नी राजाराम ग्राम बद्दोपुर थाना शहर कोतवाली, 44 वर्षीय अनीता पत्नी राजेंद्र ग्राम नरहन खास थाना जीयनपुर व राजेंद्र की 2 वर्षीय नतिनी अराध्या के साथ ही रिश्तेदारी में आई पाच वर्षीय बच्ची अंजलि की भी दम घुटने से मौत हो गई। जबकि 17 वर्षीय पूज्यंका उर्फ पुष्पाजलि पुत्री महेंद्र ग्राम कोटवा चकबंगाली की हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल से वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया है। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे अग्निशमन दल के कर्मियों ने ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाया गया। वहीं देर रात मृतका के साठ वर्षीय देवर रामफेर ने भी सदमे में दम तोड़ दिया।
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जीवित वृद्धा ने भी अपने त्रयोदशाह में तोड़ा दम
आजमगढ़ में गैस सिलेंडर हादसे में उस वृद्धा रामताजी देवी ने भी दम तोड़ दिया जिसके जीवित रहते हुए त्रयोदशाह का आयोजन किया जा रहा था। परिजनों के मुताबिक परिवार की रामताजी ने गुरुमुख होने के बाद जीते जी अपनी तेरही (त्रयोदशाह) की इच्छा अपने पुत्रों से जताई थी। उसी के उपलक्ष्य में परिजनों ने त्रयोदशाह भंडारे का आयोजन किया था।