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प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान वैश्विक संवाद से काशी में निकला निहितार्थ

पंद्रहवां प्रवासी भारतीय सम्मेलन बुधवार को भले ही काशी में खत्म हो गया हो मगर इसने वैश्विक संदेश दिया है जिसमें भारत के विश्वगुरु बनने की क्षमताओं को भी बल मिला है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 07:13 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 07:05 AM (IST)
प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान वैश्विक संवाद से काशी में निकला निहितार्थ
प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान वैश्विक संवाद से काशी में निकला निहितार्थ

वाराणसी [अभिषेक शर्मा]। पंद्रहवां प्रवासी भारतीय सम्मेलन बुधवार को भले ही काशी में खत्म हो गया हो मगर इसने वैश्विक संदेश दिया है जिसमें भारत के विश्वगुरु बनने की क्षमताओं को भी बल मिला है। पूर्व में भी भारत की मेधाओं के दम पर प्रवासी भारतीय दिवस जैसे आयोजनों ने भारत को आर्थिक तरक्की की राह प्रशस्त की है। आयोजन का मकसद पहले दिन ही विदेश मंत्रालय की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था। मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार ने ग्यारह प्रमुख बिंदुओं के जरिए भारतवंशियों को देश की जड़ों से जुडऩे, उसे समृद्ध करने की जो रूप रेखा पेश की उससे प्रवासी भी पूरी तरह संतुष्ट नजर आए।

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पौराणिक नगरी काशी में आयोजन के दौरान भारतवंशियों ने धर्म कर्म के जरिए जहां पुण्य कमाने का अवसर पाया तो वहीं पुरखों की भूमि को नमन कर प्रवासी भी भावुक नजर आए। पूर्वांचल से जुड़े भारतवंशियों ने अपने गांव गिरांव जाकर जुड़ाव के मौके तलाशे तो मॉरीशस में कई पीढिय़ां बिताने वालों ने अपनों की तलाश भी करने का यह बेहतर मौका पाया। कई प्रवासियों ने मोक्ष नगरी काशी में अपने लिए आवास भी खोजा ताकि शिव नगरी से नाता और गहरा बना रहे। 

आर्थिक नाता भी जोड़ा : सरकार की स्टार्ट अप योजना से प्रवासियों को देश में निवेश का मौका देने की जानकारी मिलने के बाद कई प्रवासियों ने इसकी जानकारी ली। कुछ ने संभावनाएं तलाश की तो कुछ ने निवेश के अन्य वैकल्पिक तौर तरीकों को भी आजमाने का विचार किया।  

सरकार आई साथ : तीन दिनों तक कई सत्रों में प्रवासियों संग चले सामाजिक सुरक्षा से लेकर आर्थिक हितों के संरक्षण के वादों पर प्रवासियों ने मुखर प्रश्न विदेश राज्यमंत्री के समक्ष रखे। सुझावों पर सरकार की ओर से अमल करने का भरोसा मिला तो समस्याओं को हल करने की आस भी जगाई। 


दूतावासों पर विश्वास : विभिन्न सत्रों में विदेश मंत्री और पीएम ने भले ही प्रवासियों को देश का राजदूत कहा मगर दूतावासों में त्वरित समस्या के निस्तारण पर भी दो तरफा सहमति मिली। ट्वीट भर की दूरी पर सहायता के संवाद के माध्यम से विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया के प्रयोग की अपेक्षा जताई।


हिंदी का साथ : भारतवंशियों ने जहां संवाद सत्र में हिंदी के लिए सरकारी पहल की अपेक्षा की वहीं मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने हिंदी के प्रसार में अपनी वचनबद्धता जाहिर कर इसे वैश्विक संवाद की भाषा बनाने का मौका दिया। भोजपुरी सम्मेलन भी इसी की एक बड़ी कड़ी साबित होने की प्रवासियों ने भी उम्मीद जताई।


शिक्षा पर बात : शिक्षा की स्थिति को लेकर भी भारतवंशियों में चर्चा का सत्र लंबा चला। प्रवासियों की चिंता एक देश में शिक्षा ग्रहण करने से दूसरे देश की शिक्षा प्रणाली से कटने का खतरा भी महसूसा तो सरकार ने आश्वासन दिया कि दोनों विश्वविद्यालयों संग शैक्षणिक समझौतों के जरिए इस दुश्वारी को दूर करने का क्रम अनवरत जारी रहेगा। 


पर्यटन की सौगात : प्रवासियों को सरकार ने धार्मिक पर्यटन के लिए मौका देने की जब बात कही तो सभागार तालियों से गूंज उठा। यकीनन प्रवासी भारतीयों के लिए चारधाम यात्रा से लेकर धर्म और आध्यात्म से जोडऩे की मंशा भारतवंशियों को जड़ों की ओर रुख करने का मौका देगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी प्रवासियों को पांच लोगों को भारत आने की प्रेरणा देने की बात कह कर पर्यटन को संजीवनी दी।


संवाद पर जोर : सरकार की भी मंशा है कि विभिन्न भारतीय समुदायों के बीच संपर्क बना रहे। इससे भारतीय हितों का संरक्षण तो होगा ही साथ ही एक दूसरे से आगे बढऩे की संभावनाओं पर भी सहायता मिलेगी। सरकार ने इसके लिए केंद्रीयकृत योजना पर अमल करने का भी भरोसा प्रवासियों को दिया।


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