Move to Jagran APP

फादर्स डे 2020: जेब में 1500 व मुट्ठी भर अनाज संग काशी आया था यह पिता, बिटिया को बनाया इंजीनियर

फादर्स डे 2020 बेटियों के सपने पिता की आंखों में पलते हैं। इसे सच कर दिखाया सुसुवाही निवासी सत्येंद्र राय नंद जी ने।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 12:13 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 02:26 PM (IST)
फादर्स डे 2020: जेब में 1500 व मुट्ठी भर अनाज संग काशी आया था यह पिता, बिटिया को बनाया इंजीनियर
फादर्स डे 2020: जेब में 1500 व मुट्ठी भर अनाज संग काशी आया था यह पिता, बिटिया को बनाया इंजीनियर

वाराणसी, [रवि पांडेय]। पिता के लिए बेटों से कम नहीं होती हैं बेटियां। बेटियों के सपने पिता की आंखों में पलते हैं। इसे सच कर दिखाया सुसुवाही निवासी सत्येंद्र राय नंद जी ने। मूलरूप से गाजीपुर जिले के सुहवल निवासी सत्येंद्र राय नंद जी बेटियों को पढ़ाने बनारस आए तो उनके पास 1500 रुपये व थोड़ा अनाज था। सिर पर न छत थी, न तो नौकरी। बस आंखों में सपना था बेटियों को कामयाब बनाने का। इस सपने में रंग भरने के लिए लंका क्षेत्र के सुसुवाही में छोटा सा सेनेटरी स्टोर खोल उसमें खुद को खपा दिया और बेटियां सीएचएस में पढऩे लगीं। सत्येंद्र की पत्नी संघर्ष में उनकी हमकदम बनी रहीं।

prime article banner

बेटियों की मेहनत लाई रंग

बड़ी बेटी आर्या ने इंटर के बाद दूसरे प्रयास में प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रवेश पाया। पढ़ाई के बाद कैंपस प्लेसमेंट में अमेरिका की एचजी हेल्थ कंपनी की बेंगलुरू स्थित शाखा में जॉब शुरू कर दिया। दो साल बाद उसका अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में स्कॉलरशिप से चयन हुआ। सत्येंद्र ने 35 लाख रुपये इंतजाम कर अमेरिका भेजा। आर्या ने डिग्री लेने के बाद वहीं छह लाख महीने पर जॉब शुरू कर दिया। छोटी बेटी यशी कानपुर से इंजीनियरिंग कर रही है।

ताने सुनकर इरादे बने चट्टान 

सत्येंद्र कहते हैं कि दो बेटियों के पिता को समाज व घर के ताने भी सुनने पड़ते हैं। दो-दो बेटियां होने से नाराज मां ने कुछ दिन बात करना बंद कर दिया था। अब तो अमेरिका से आर्या का फोन आता है तो पूछती हैं-बिटिया कब आ रही हो।

पापा की सीख मुझे दी ताकत

आर्या ने बताया कि सातवीं की परीक्षा में गणित में 50 पूर्णांक में से 25 अंक मिले। पापा के डर से उसे 35 बना दिया। पापा को पता चला, मगर डांटा नहीं। समझाया- प्राथमिक शिक्षा अंक से ज्यादा एक बेहतर इंसान बनने के लिए होती है। आर्या बताती हैं कि इस सीख ने बहुत ताकत दी। कहती हैं कि वो पापा जैसा बनना चाहती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.