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फसल बर्बादी के विरोध में मीरजापुर के बारह गांवों के किसान नहीं मनाएंगे इस बार होली

मीरजापुर में रविवार को पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने होली का त्योहार न मनाने का संकल्प लिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 07:26 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 07:26 PM (IST)
फसल बर्बादी के विरोध में मीरजापुर के बारह गांवों के किसान नहीं मनाएंगे इस बार होली
फसल बर्बादी के विरोध में मीरजापुर के बारह गांवों के किसान नहीं मनाएंगे इस बार होली

मीरजापुर, जेएनएन। अदलहाट थानाक्षेत्र के जादोपुर, कुंडाडीह में रविवार को पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने होली का त्योहार न मनाने का संकल्प लिया। पीडि़त किसानों ने बताया कि जो गेहूं कि फसल बीस दिन में पक जाती और किसानों को अन्न का निवाला मिलता, उसे प्रशासन ने बुलडोजर से रौंदने का काम किया है। इसलिए कोई भी ग्रामीण होली का त्योहार नहीं मनाएगा।

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भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले दर्जनों महिलाएं व किसानों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन के जिलाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि करीब छह किलोमीटर लंबी दूरी में दो सौ बीघे गेहूं, सरसों, मसूर की खड़ी फसल को बर्बाद करने का काम प्रशासन कर रहा है। विरोध किया गया तो पुलिस व पीएसी बल ने लाठियां भांजी। किसानों ने आरोप लगाया कि एसडीएम चुनार के नेतृत्व में किसानों की फसल बर्बाद करने व लाठीचार्ज करने का काम किया गया जिसमें 80 से ज्यादा लोग घायल हैं। किसान नेताओं ने इस अत्याचार की जांच कराने व एसडीएम को हटाने की मांग प्रमुखता से रखी। किसानों ने कहा कि उनकी बर्बाद फसल का मुआवजा मिले, कंपनी का काम तुरंत रोका जाए, नहीं तो किसान आंदोलन जारी रहेगा।

इन गांवों के किसान प्रभावित

अदलहाट थानाक्षेत्र के पुरैनी, बरईपुर, गोरखपुर माफी, देवरिया, मकईपुर, करहट, पकरी, डोमरी, जादोपुर, कुंडाडीह, सिकिया, जैरामपुर, जमालपुर, नरायनपुर, बैकुंठपुर, बरीजीवनपुर, जोगवां, भोरपुर माफी गांव के किसान प्रभावित हैं। किसानों ने कहा कि संतान की मौत बर्दाश्त हो सकती है लेकिन अन्न की बर्बादी किसानों की जान निकाल देती है। प्रशासन ने इतना भी नहीं समझा कि किसानों का अन्न उनके घर में पहुंच जाए।

बीस दिन की नहीं दी मोहलत

किसानों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि गेहूं की फसल तैयार है और बीस दिन में इसे काट लिया जाता लेकिन प्रशासन को इतनी जल्दी थी कि फसल कटने का इंतजार नहीं किया गया। जबकि कुछ दिन पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने बैठक में यह आश्वासन दिया था कि फसल कटने के बाद ही काम शुरू होगा। इसी के विरोध में किसानों ने काटी गई कच्ची फसल के साथ कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया।

भाजपा पर लगाए आरोप

भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले आए किसानों ने एडीएम यूपी ङ्क्षसह के सामने खुलेआम आरोप लगाया कि भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी कंपनी के एजेंट की तरह से काम कर रहे हैं। भाजपा के नेता ही ठेकेदार बने हैं और मनमाने ढंग से किसानों की जमीन हड़पी जा रही है। आरोप लगाया कि जिनकी पांच बिस्वा जमीन अधिग्रहित है, उनकी दस बिस्वा जमीन पर कंपनी कब्जा कर रही है। इसलिए प्रशासन सही तरह से मापी कराए, उसके बाद ही काम होगा।

नौकरी व मुआवजे की मांग

किसानों की मांग है कि डेडिकेटेड फ्रेड कारिडोर परियोजना के तहत कानपुर से पं. दीनदयाल उपाध्यान नगर तक प्रभावित होने वाले 13 हजार बेरोजगारों को नौकरी देने का वादा किया गया था। इसके बाद अचानक इस आदेश को रद कर दिया गया। किसानों की मांग है कि सही नापी कराई जाए, उचित मुआवजा मिले और नौकरी देकर पीडि़त किसानों को न्याय दिया जाए। मंडलाध्यक्ष रतनलाल चौरसिया ने कहा कि ग्रामीणों की निकासी के लिए पुल बनाया जाए।

एडीएम ने दिया आश्वासन

डीएम से मिलने की मांग पर अड़े किसानों से एडीएम यूपी सिंह ने मुलाकात की और मुख्यमंत्री को संदर्भित ज्ञापन लिया। उन्होंने तुरंत डीएम से बात करके अदलहाट में फसल बर्बादी में लगे बुलडोजर के चक्के रोकने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि किसानों की मांग उचित है कि उनकी फसल कटने के बाद काम शुरू किया जाए। इस बिंदु पर विचार किया जा रहा है।


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