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पूर्वांचल में बर्बाद हो रहे किसान, पांच रुपये करैला तो तीन रुपये किलो टमाटर का भाव

कोरोना ने गांव की अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। काश्तकारों के लिए बाजार तक नहीं मिल पाने से सब्जी की खेती में आई लागत निकालना मुश्किल पड़ रहा है। लाचार पड़े किसान पांच रुपये करैला तो तीन रुपये किलो टमाटर बेचने को मजूबर हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 07:20 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 07:20 AM (IST)
पूर्वांचल में बर्बाद हो रहे किसान, पांच रुपये करैला तो तीन रुपये किलो टमाटर का भाव
लाचार पड़े किसान पांच रुपये करैला तो तीन रुपये किलो टमाटर बेचने को मजूबर हैं।

आजमगढ़, जेएनएन। कोरोना ने नरहनखास गांव की अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। काश्तकारों के लिए बाजार तक नहीं मिल पाने से सब्जी की खेती में आई लागत निकालना मुश्किल पड़ रहा है। लाचार पड़े किसान पांच रुपये करैला तो तीन रुपये किलो टमाटर बेचने को मजूबर हैं। बहुतेरे किसान तो तोड़ाई तक न निकल पाने के कारण खेत जाना ही छोड़ दिए हैं। उम्मीद जरूर लगाए हैं कि सब्जी बाजार खुलने के समय में कुछ घंटे की बढ़ोत्तरी हो जाए तो संजीवनी मिल सकती है।

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अर्थव्यवस्था चौपट होने संग सैकड़ों मजदूर परेशान

सगड़ी तहसील अंतर्गत नरहन खास गांव सब्जी की खेती के लिए इलाके में अलग पहचान रखता है। गांव के 75 फीसद किसानों की अर्थ व्यवस्था इसी पर टिकी है। सब्जी ने यहां के किसानों को आत्मनिर्भर ही नहीं बनाया है, बल्कि सैकड़ों की संख्या में मजदूरों के घर चूल्हा भी इसी कमाई से जलता था। कोरोना के कारण लगे डाउन से पूरी व्यवस्था को बर्बाद करके रख दिया है।

सब्जी बाजार का समय बढ़े तो बने बात

कोराेना का चेन तोड़ने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है। सब्जी को जरूरी सामान समझते हुए सुबह सात से 11 तक ही बाजार खोलने का आदेश दिया गया है। लेकिन यह समय किसानों के लिए नाकाफी बताया जा रहा है। दरअसल सीमित समय होने के कारण बाहर के व्यापारियों का आवागमन बंद हो गया है। ऐसे में जीयनपुर बाजार में ही सब्जी की आवक बढ़ने लागत निकालना मुश्किल पड़ जा रहा है।

थोक मंडी के भाव

क्रमांक सब्जी का नाम प्रति किलो मूल्य
1 करैला पांच रुपये
2 टमाटर तीन रुपये
3 बैगन पांच रुपये
4 बोड़ा सात रुपये
5 लौकी पांच रुपये

किसानों की परेशानी, उन्हीं की जुबानी

किसान मनोज मौर्य ने बताया कि चार घंटे ही बाजार खुलने से मुश्किल हो रही है। सरकार को चाहिए कि इस समय को बढ़ाकर किसानों को बर्बाद होने से बजाए। भरथ मौर्य ने कहाकि सब्जी मंडी में थोक भाव में फसल बेचने से बढ़िया कि उसे खेत में ही छोड़ दें। रेट इतना कम हो गया है कि फसल की तोड़ाई भी नहीं निकल पा रही है। रामसमुझ मौर्य ने बताया कि बटाईदार किसान पर बंदी की दोहरी मार पड़ी जिससे किसान बेहाल है। सदानंद ने बताया कि बंदी के कारण खेतों तक व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे खेतों में उनकी फसलें बर्बाद हो रही है। सरकार को चाहिए कि किसानों को अनुदान दे, जिससे वह अपनी नुकसान की भरपाई कर सके।


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