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फर्जी वेबसाइट से परिवहन विभाग में ठगी, सरकारी विभागों को ठग बनाने लगे निशाना

जालसाज प्राइवेट लोगों संग अब सरकारी विभागों को अपना निशाना बनाने लगे हैं। वे सरकारी विभाग की तरह फर्जी वेबसाइट बनाकर राजस्व अपने खाते डलवा ले रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 10:29 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 09:05 AM (IST)
फर्जी वेबसाइट से परिवहन विभाग में ठगी, सरकारी विभागों को ठग बनाने लगे निशाना
फर्जी वेबसाइट से परिवहन विभाग में ठगी, सरकारी विभागों को ठग बनाने लगे निशाना

वाराणसी [जेपी पांडेय]। ऑनलाइन ठगी करने वाले जालसाज प्राइवेट लोगों संग अब सरकारी विभागों को अपना निशाना बनाने लगे हैं। वे सरकारी विभाग के वेबसाइट की तरह फर्जी वेबसाइट बनाकर सरकारी राजस्व अपने खाते डलवा ले रहे हैं। सरकारी वेबसाइट और फर्जी वेबसाइट में बहुत अंतर नहीं होने से गाड़ी मालिक और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले अभ्यर्थी पकड़ नहीं पा रहे हैं। फर्जी आईडी पर ठगी करने का मामला प्रकाश में आने पर सड़क परिवहन मंत्रालय ने परिवहन विभाग को पत्र लिखकर अलर्ट जारी किया है। बनारस में भी एक-दो नहीं, बल्कि कई मामले प्रकाश में आए हैं लेकिन इस बारे में कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। आवेदक के शिकायत करने पर अधिकारी कार्यालय से जुड़ा मामला नहीं होने पर पल्ला झाड़ लेते हैं। 

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गाड़ी मालिकों और डीएल बनवाने वाले लोगों की सुविधा के लिए परिवहन कार्यालयों को कंप्यूटरीकृत करने के साथ सब कुछ ऑनलाइन कर दिया गया है। लोग घर बैठे या साइबर कैफे से सभी तरह के टैक्स जमा कर लें जिससे उन्हें कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े लेकिन इसका फायदा मिलने की बजाय वे ठगी के शिकार होने लगे हैं। टैक्स परिवहन विभाग के खाते में नहीं जाकर जालसाजों के खाते में पहुंच जा रहा है। 

फर्जी आईडी का करें प्रचार-प्रसार :  सड़क परिवहन मंत्रालय तक मामला पहुंचने पर देश के सभी परिवहन अधिकारियों को पत्र जारी कर फर्जी वेबसाइट के बारे में प्रचार-प्रसार करने के साथ सतर्क रहने को कहा गया है। विभाग के सही आईडी को कार्यालय समेत अन्य स्थानों पर चस्पा कराया जाए जिससे गाड़ी मालिक या डीएल के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी ठगी के शिकार नहीं हो। जांच शुरू होने पर जालसाजों ने उस वेबसाइट को फिलहाल बंद कर दिया है। 

ऐसे बनाते हैं अपना निशाना: जालसाजों ने फर्जी आईडी बनाने के साथ गूगल एड सेवा भी ले रखी है। गूगल पर जाते ही ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस या आरटीओ टाइप करते ही विभाग का वेबसाइट खुल जाता है। वेबसाइट पर आवेदन की कटेगरी भी उन्होंने बना रखी है। कुछ लोग इस बात को समझ नहीं पाते हैं और वे ठगी के शिकार हो जा रहे हैं। 

यह हुए फर्जी आईडी के शिकार : पहडिय़ा के राजेश कुमार ने अपने मोबाइल से लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए 350 रुपये जमा किया था। कार्यालय में आने पर मालूम चला कि कोई पैसा जमा नहीं है। इसी प्रकार मछोदरी के संजीव अग्रहरि ने भी आनलाइन लर्निंग डीएल के लिए आवेदन किया था। बाद में दोनों को कार्यालय के बाहर से आवेदन करना पड़ा। कार्यालय के बाबू बताते हैं कि इस तरह के अक्सर मामले सामने आते रहते हैं, क्योंकि कार्यालय से आवेदन का मामला नहीं होने से हम लोग कुछ नहीं कर सकते हैं। 

बोले अधिकारी : जालसाज द्वारा फर्जी वेबसाइट से सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के मामले में शासन से पत्र आया है, इसको लेकर सतर्कता बरती जा रही है। अभी तक मेरे पास ठगी का कोई मामला नहीं आया है। 

-अमित राजन राय, एआरटीओ प्रशासन 


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