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परिवहन विभाग की फर्जी आइडी पर हो रही ठगी, बनारस में कई मामले प्रकाश में आने पर अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं

ऑनलाइन ठगी करने वाले जालसाज प्राइवेट लोगों संग अब सरकारी विभागों को भी अपना निशाना बनाने लगे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 07:30 AM (IST)
परिवहन विभाग की फर्जी आइडी पर हो रही ठगी, बनारस में कई मामले प्रकाश में आने पर अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं
परिवहन विभाग की फर्जी आइडी पर हो रही ठगी, बनारस में कई मामले प्रकाश में आने पर अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं

वाराणसी, जेएनएन। ऑनलाइन ठगी करने वाले जालसाज प्राइवेट लोगों संग अब सरकारी विभागों को भी अपना निशाना बनाने लगे हैं। वे परिवहन विभाग के फर्जी वेबसाइट बनाकर सरकारी राजस्व अपने बैंक खाते में डलवा ले रहे हैं। सरकारी वेबसाइट और फर्जी वेबसाइट में बहुत अंतर नहीं होने से गाड़ी मालिक व ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले अभ्यर्थी पकड़ नहीं पा रहे हैं। फर्जी आइडी पर ठगी करने का मामला प्रकाश में आने पर अपर परिवहन आयुक्त वीके सिंह ने सोमवार को विभाग को पत्र लिखकर सतर्क रहने को कहा है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को मामला संज्ञान में आते ही संबंधित के खिलाफ स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है। बनारस में भी कई मामले प्रकाश में आने पर परिवहन अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है।

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गाड़ी मालिक व डीएल बनवाने वाले लोगों की सुविधा के लिए परिवहन कार्यालयों को कंप्यूटरीकृत करने के साथ सब कुछ ऑनलाइन कर दिया गया है। लोग घर बैठे या साइबर कैफे से सभी तरह के टैक्स जमा कर लें जिससे उन्हें कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े लेकिन इसका फायदा मिलने की बजाय वे ठगी के शिकार होने लगे हैं। उन्होंने विभाग को पत्र जारी कर फर्जी वेबसाइट के बारे में प्रचार-प्रसार करने के साथ सतर्क रहने को कहा है। विभाग के सही आइडी कार्यालय समेत सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कराने को कहा है।

ऐसे बनाते हैं अपना शिकार

जालसाजों ने फर्जी आईडी बनाने के साथ गूगल एड सेवा भी ले रखी है। गूगल पर जाते ही ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस या आरटीओ टाइप करते ही विभाग का वेबसाइट खुल जाता है। वेबसाइट पर आवेदन की कटेगरी भी उन्होंने बना रखी है। कुछ लोग इस बात को समझ नहीं पाते हैं और वे ठगी के शिकार हो जाते हैं।

परिवहन कार्यालय के बाहर खेल

बाबतपुर और चौकाघाट परिवहन कार्यालय के बाहर कई साइबर कैफे खुले हैं। वे ऑनलाइन डीएल का फीस जमा करने के नाम पर मनमाना सुविधा शुल्क लेते हैं। वे एक अभ्यर्थी के आवेदन का 100 से 200 रुपये शुल्क ले रहे हैं। अभ्यर्थियों के शिकायत करने के बाद भी विभाग उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है जबकि उन्हें 20 रुपये से अधिक नहीं लेना चाहिए। इन्हीं में कुछ लोग ठगी करते हैं, फिर भी विभाग इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है।

इस बारे में एआरटीओ (प्रशासन) सर्वेश सिंह ने कहा कि जालसाज द्वारा फर्जी वेबसाइट से सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के मामले में शासन से पत्र आया है। इसको लेकर सतर्कता बरती जा रही है। अभी तक मेरे पास ठगी का कोई मामला नहीं आया है। लेकिन, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।


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