चिकित्सा विज्ञान संकाय को पूर्ण स्वायत्तता नहीं, आइएमएस और अस्पताल को एम्स जैसे संस्थान का मिला है दर्जा
बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) को एम्स जैसे संस्थान का दर्जा मिले एक वर्ष से अधिक हो चुका है।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) को एम्स जैसे संस्थान का दर्जा मिले एक वर्ष से अधिक हो चुका है। अभी तक न तो मरीजों को मुफ्त उपचार की सौगात मिली है और न ही सुविधाओं में इजाफा हुआ है। बावजूद इसके दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यकारिणी परिषद की बैठक में स्वायत्तता बढ़ाने की मांग उठी, जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया।
कार्यकारिणी ने सवाल उठाया कि आखिर आइएमएस को कितनी और किस लिए स्वायत्तता चाहिए। स्पष्ट किया कि आइआइटी-बीएचयू की तरह आइएमस भी हमेशा विवि के अधीन ही रहेगा। इस बीच नीति आयोग की ओर से एम्स जैसे संस्थान के संदर्भ में प्रजेंटेशन दिया। इस पर विस्तार से प्रस्ताव तैयार कर अगली बैठक में रखने की बात कही गई।
तीन साल में होना था एम्स के बराबर
बड़े ऑपरेशन, ट्रांसप्लांट सहित अन्य अत्याधुनिक चिकित्सीय सुविधाएं बनास सहित पूर्वांचल के लोगों को मुफ्त मिलनी थी। दावा किया गया था कि घोषणा के तीन माह बाद से ही इसका लाभ मिलने लगेगा। मगर एक वर्ष बीत जाने के बाद भी बीएचयू अस्पातल सहित ट्रामा सेंटर में सुविधाएं और समस्याएं जस की तस हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मिलने थे 5000 करोड़
समझौते के अनुसार आइएमएस को हर साल 2000 करोड़ रेकनिंग फंड मिलने की बात थी, जिसमें बेड का खर्च भी शामिल है। इसके अलावा इंफ्रा स्ट्रक्चर के लिए तीन वर्षों में 5000 करोड़ रुपये भी मिलने थे। साथ ही यहां करीब 600 करोड़ रुपये में जांच व इलाज के उपकरण खरीदे जाने थे। यही नहीं समझौते में कन्वेंशन सेंटर, आवास, गेस्ट हाउस और मरीजों के परिजनों के लिए करीब 2000 बेड का धर्मशाला भी शामिल है, जिनका काम अभी तक शुरू ही नहीं हो सका है।
बीएचयू अस्पताल की वर्तमान स्थिति
400 : बेड हैं निर्माणाधीन सुपर स्पेशलियेलिटी हॉस्पिटल में
100 : बेड निर्माणाधीन हैं एमसीएच में
16 : बेड हैं आइसीयू के
46 : ओपीडी का संचालन
15 : ऑपरेशन थियेटर
15 : लाख प्रति वर्ष ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या
30 : हजार प्रति वर्ष होता है ऑपरेशन
55 : हजार सालाना भर्ती होते हैं मरीज
1565 : बेड का है एसएस हॉस्पिटल
334 : बेड हैं ट्रामा सेंटर
02 : लाख रुपये है प्रति बेड फंड
198 : करोड़ रुपये है पूरा फंड