विवाद बढ़ा तो बीएचयू कैंपस से बाहर निकलने का भी विकल्प
वाराणसी स्थित काशी ¨हदू विश्वविद्यालय एवं आइआइटी के बीच जमीन को लेकर चल रहे टकराव के बाबत आइआइटी के निदेशक पत्रकारों से मुखातिब हुए।
जागरण संवाददाता, वाराणसी :
काशी ¨हदू विश्वविद्यालय एवं आइआइटी के बीच जमीन को लेकर टकराव अक्सर ही देखने को मिलता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्वतंत्र संस्थान होने के बावजूद किसी भी निर्माण के लिए बीएचयू प्रशासन से गुजारिश करना पड़ता है। इस सवाल के जवाब में आइआइटी निदेशक प्रो. पीके जैन ने कहा कि कोशिश होगी जमीन का विवाद सुलझा लिया जाए। हां, अगर विवाद ज्यादा बढ़ेगा तो हमारे पास कैंपस को बाहर ले जाने का भी विकल्प है। सोमवार को संस्थान के समिति कक्ष में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रो. जैन ने कहा कि जमीन की बाधा को दूर करने के लिए कुलपति से भी बात की जाएगी।
वहीं रजिस्ट्रार डा. एसपी माथुर ने भी स्वीकार किया कि किसी भी निर्माण के लिए संस्थान को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि आइआइटी के लिए संसद से 350 एकड़ जमीन पास है। मौजूदा समय में संस्थान के पास 290 एकड़ ही जमीन है। इसको लेकर बीएचयू प्रशासन से समय-समय पर चर्चा की गई है। मालूम हो कि पिछले वर्ष बीएचयू के प्रेस के पास जमीन पर जब आइआइटी की ओर से हास्टल बनाने की पहल की गई थी तो बीएचयू ने यह कह कर रोक दिया था कि यह पुराना तालाब है। वहीं बाद में कूड़ा डाला जाने लगा। इसको लेकर भी आइआइटी के अधिकारियों में नाराजगी है।
कर्मचारियों के लिए लागू होगी प्रमोशन पालिसी
प्रो. जैन ने कहा कि कर्मचारियों के लिए प्रमोशन पालिसी लागू की जाएगी। साथ ही उन्होंने कर्मचारियों के लिए आवास बनवाने की भी भरोसा दिलाया।
रैंकिंग सुधारने को बनेगा एक्शन प्लान
प्रो. जैन ने दावा किया संस्थान देश की टॉप 10 व विश्व की टॉप 100 सूची में स्थान पाएगा। इसके लिए एक एक्शन प्लान बनाया जाएगा। यह भी दावा किया कि आइआइटी, बीएचयू तीन साल में आइआइटी मुंबई के बराबर हो जाएगा। कहा कि स्थान की बुनियादी सुविधाओं को और अपग्रेड किया जाएगा।