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बलिया में गंगा और सरयू नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर होने के बाद शुरु हुआ पलायन

गंगा और सरयू दोनों नदियां बैरिया क्षेत्र में बुधवार को खतरा बिंदु से ऊपर हो गयी हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 02:50 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 02:50 PM (IST)
बलिया में गंगा और सरयू नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर होने के बाद शुरु हुआ पलायन
बलिया में गंगा और सरयू नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर होने के बाद शुरु हुआ पलायन

बलिया, जेएनएन। गंगा और सरयू दोनों नदियां बैरिया क्षेत्र में बुधवार को खतरा बिंदु से ऊपर हो गयी हैं। गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ाव पर है जबकि सरयू का जलस्तर स्थिर है। उल्लेखनीय है कि विगत दो दशक से क्षेत्र से बहने वाली गंगा व सरयू नदियों के बाढ़ व कटान से सबसे ज्यादा नुकसान सितंबर माह में ही होता रहा है। अपने इस अनुभव के आधार पर तटवर्ती गांव के तटवर्ती गांव के लोग बाढ़ विभाग, संबंधित अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को बार-बार आगाह कर पहले से ही बाढ़ व कटान रोधी कार्य को मुकम्मल कराने का गुहार लगाते रहे।

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सरकार द्वारा बाढ़ कटाव रोधी कार्यों के लिए क्षेत्र में लगभग 60 करोड़ के लागत की अलग-अलग परियोजनाएं शुरू भी की गई। लेकिन सभी काम आधा अधूरा ही है। कई जगहों जैसे गंगापुर, रामगढ़, गोपालपुर, नौरंगा तथा गंगा की धारा को मोड़ने के लिए पचरुखिया से नौरंगा तक का ड्रेसिंग कार्य सब अभी आधा अधूरा ही है। बीच में बाढ़ का पानी बढ़ जाने की बात कह कर काम रोक दिया गया। तटवासी चीखते चिल्लाते और मांग करते रह गए। इन जगहों पर विधायक, बाढ़ विभाग के उच्चाधिकारी, मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री आकर शीघ्र कार्य संपन्न कराने का निर्देश तो देते रहें, लेकिन जब काम बंद हुआ तो बंद ही रहा। शुरू नहीं किया गया।

तटवर्ती गांव वासियों का कहना है कि अब बाढ़ कटान के संदर्भ में संबंधित विभाग का पूरा फोकस फ्लड फाइटिंग पर हैं। साल दर साल फ्लड फाइटिंग का तमाशा हम लोग देख रहे हैं और हम तट वासियों में फ्लड फाइटिंग को फेंक फाइटिंग कहा जा रहा है। इन लोगों का कहना है कि जब बाढ़ का पानी भर जाता है, जगह-जगह कटान शुरू हो जाता है, तब ऐसे खतरे वाले स्थानों पर फेंक फाइटिंग यानी फ्लड फाइटिंग का कार्य शुरू हो जाता है। लोगों के आंखों के सामने ही खतरे की जद में आए स्थानों पर पानी में मिट्टी व बालू से भरी बोरियां कम व कागज पर अधिक डाली जाती हैं। पेड़ पौधे काटकर उन जगहों पर डाले जाते हैं। जिसमें लंबा घपले बाजी का खेल होता है। जब हम इसका विरोध करते हैं तो हमारी बातें या तो अनसुना कर दी जाती हैं या दबा आदि जाते हैं। कहे भी तो किस से कहें। सब लोग इस भ्रष्टाचार में शामिल हो जाते हैं।

वर्तमान समय में गोपालपुर दुबेछपरा गंगा घाट पर गंगा नदी से मात्र 20 से 25 मीटर दूरी से ही बालू मिट्टी काटकर जिन जगहों से पानी आबादी एवं गांव की ओर बढ़ रहा है उन जगहों पर बाढ़ विभाग द्वारा डाली जा रही है। गांव के लोगों ने कम से कम नदी से 200 मीटर दूर से बालू मिट्टी लाकर यहां भरने की बात कही तो अनसुना कर दिया गया। नजदीकी गड्ढा खोदकर मिट्टी निकालने से खतरा और बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। सूचना पर यहां एसडीएम बैरिया आए और निरीक्षण किए। बाढ़ विभाग को निर्देश देकर चले गए। मिट्टी वहीं से काटकर खतरे वाली जगहों पर भरी जा रही है। गांव में पानी की आशंका से डरे ग्रामीण भी अब उनका विरोध नहीं कर रहे हैं।

नदियों ने दिखाया रौद्र रूप

बुधवार को सुबह से गंगा व घाघरा दोनों नदियां खतरा बिंदु से ऊपर बह रही हैं। चांदपुर रेगुलेटर पर सुबह आठ बजे घाघरा का जलस्तर 58.600 मीटर दर्ज किया गया। जबकि यहां खतरा बिंदु 58.000 मीटर है। घाघरा नदी का जलस्तर स्थिर बताया गया है। वहीं गायघाट केंद्रीय जल आयोग शाखा पर सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 57.790 मीटर दर्ज किया गया। यहां पर गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ाव की बात कही गई है। यहां से बताया गया कि इलाहाबाद वाराणसी और गाजीपुर की स्थिति को देखते हुए दोपहर से जल स्तर और तेजी से बढ़ सकता है। जबकि गायघाट में खतरा बिंदु 57.615 मीटर है। इलाके में गंगा व घाघरा दोनों नदियां खतरा बिंदु से ऊपर बह रही हैं। घाघरा नदी ठहराव पर है, तथा गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गंगा के बाढ़ का पानी दोपहर बाद बस्ती में घुसना शुरू हो गया है जिसे देख लोग अपना जरूरी सामान समेत कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए गांव से पलायन शुरू कर दिए हैं।


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