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जहां मिले फर्जी परीक्षार्थी वह भी केंद्र के लिए प्रस्तावित, नियमों को ताक पर रखकर हो रहा परीक्षा केंद्रों का निर्धारण

डीएलएड प्रशिक्षण 2017 चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा केंद्रों के निर्धारण के लिए भेजे गए प्रस्ताव में लेन-देन और लूट-खसोट की बू आ रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 07:31 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 07:45 AM (IST)
जहां मिले फर्जी परीक्षार्थी वह भी केंद्र के लिए प्रस्तावित, नियमों को ताक पर रखकर हो रहा परीक्षा केंद्रों का निर्धारण
जहां मिले फर्जी परीक्षार्थी वह भी केंद्र के लिए प्रस्तावित, नियमों को ताक पर रखकर हो रहा परीक्षा केंद्रों का निर्धारण

गाजीपुर, जेएनएन। डीएलएड प्रशिक्षण 2017 चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा केंद्रों के निर्धारण के लिए भेजे गए प्रस्ताव में लेन-देन और लूट-खसोट की बू आ रही है। हर नियम-कानून को ताक पर रखकर काम किया गया है। न सिर्फ ऐसे-ऐसे विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है जहां पिछली बार परीक्षा में व्यापक पैमाने पर फर्जी परीक्षार्थी पकड़े गए थे, बल्कि शिक्षकों और केंद्र व्यवस्थापकों पर भी अंगुली उठी थी। इतना ही नहीं इनमें से कई तो शहर से 20 किमी दूर हैं। 

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कुल 29 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाने के लिए प्रस्तावित किया गया है, जिसमें 20 विद्यालय स्ववित्तपोषित हैं। आखिर इस सवाल का क्या जवाब है उनके पास कि क्या 20 किलोमीटर के दायरे में वही विद्यालय बचे थे जो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। डीएलएड परीक्षा केंद्रों का अभी निर्धारण नहीं हुआ है, लेकिन इसको लेकर तरह-तरह सवाल उठने लगे हैं। कमला मेमोरियल पब्लिक स्कूल तौलघर का भी प्रस्ताव परीक्षा केंद्र के लिए भेजा गया है, जबकि यहां पिछले परीक्षा में फर्जी परीक्षार्थी पकड़े गए थे।

इसी तरह का आरोप एक अन्य विद्यालय पर भी लगा है, जिसे संबंधित मकहमा सिरे से खारीज कर दे रहा है। 29 में से 20 स्ववित्तपोषित विद्यालय के प्रस्ताव भेजे जाने पर तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि शिक्षा माफियाओं के इशारे पर केंद्रों का निर्धारण किया जा रहा है। 18 से 20 किमी दूरी पर परीक्षा केंद्र बनाने की क्या जरूरत पड़ रही है, जब पर्याप्त विद्यालय नगर के आसपास ही हैं। परीक्षा के लिए करीब 13 हजार परीक्षार्थी पंजीकृत हैं। 

बोले जिला विद्यालय निरीक्षक 

परीक्षा केंद्र के लिए पहले सरकारी फिर एडेड उसके बाद वित्तविहीन विद्यालयों का चयन किया जाता है। इसमें उसी को केंद्र बनाया जाता है, जो पहले बोर्ड या फिर बीटीसी परीक्षा का केंद्र रहे हों। दूरी का कोई मानक नहीं है। इसमें देखा गया है जहां सीसीटीवी कैमरा, परीक्षार्थी को बैठने आदि की पर्याप्त व्यवस्था हो। जो दूरी का दायरा लिया गया है, उसमें करीब 15 राजकीय और एडेड विद्यालय ही आए थे। इसमें चार ऐसे हैं, जो परीक्षा केंद्र बनाने लायक ही नहीं है। - ओमप्रकाश राय, जिला विद्यालय निरीक्षक। 


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