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पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी के बाद अंजू कटियार को अदालत से नहीं मिल सकी राहत

लोकसेवा आयोग की शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद निलंबित परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को अदालत से राहत नहीं मिली।

By Edited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 01:29 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 09:30 AM (IST)
पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी के बाद अंजू कटियार को अदालत से नहीं मिल सकी राहत
पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी के बाद अंजू कटियार को अदालत से नहीं मिल सकी राहत

वाराणसी, जेएनएन। लोकसेवा आयोग की शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद निलंबित परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को अदालत से राहत नहीं मिली। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। जुलाई 2018 में आयोजित एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक का खुलासा गिरोह के सदस्य अशोक देव चौधरी ने किया था, जिसके बाद उसे सरकारी गवाह बना लिया गया। एसटीएफ ने चोलापुर में 27 मई की रात सरगना कौशिक कुमार को पकड़ा था, फिर उसके बयान के आधार पर लोकसेवा आयोग में छानबीन व तलाशी के बाद परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को वाराणसी लाकर गिरफ्तार किया था। उन्हें अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

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अंजू की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर गुरुवार को विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रामचंद्र ने सुनवाई की। जमानत का विरोध प्रभारी डीजीसी मुन्ना लाल यादव तथा एडीजीसी राजीव सिन्हा ने किया। अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि प्रिटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार ने 26 मई को पेपर लीक करने पर अभ्यर्थियों से मिली रकम में से अंजू कटियार को 10 रुपये लाख दिए थे। प्रश्नपत्रों के मुद्रण और गोपनीयता की जिम्मेदारी अंजू की थी। शासनादेश है कि परीक्षा नियंत्रक ही ऐसी परीक्षाओं के समय से संचालन व गोपनीयता बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होगा। बचाव पक्ष से दलील दी गई कि अंजू कटियार को झूठा फंसाया गया। सच यह है कि आयोग द्वारा विभिन्न परीक्षाओं को सही संपादित कराया गया। कभी किसी तरह की कोई अनियमितता नहीं हुई। इस मामले में आरोपित के विरुद्घ एकमात्र कौशिक कुमार द्वारा 10 लाख रुपया देने को साक्ष्य बताया गया है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी कि अभियोजन द्वारा जो साक्ष्य उपलब्ध कराये गये हैं वे इस प्रकृति के हैं, जिससे आरोपित की अपराध में संलिप्तता से इन्कार किया जाना संभव नहीं है और अंजू कटियार द्वारा अपने शासकीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया जाना प्रतीत होता है।

लाखों परीक्षार्थियों के भविष्य से जुड़ा अपराध गंभीर प्रकृति का है। इस स्तर पर जमानत स्वीकार करने पर अग्रिम विवेचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। आयोग से छह दिन में भी जानकारी नहीं इस बीच मुकदमे के विवेचना अधिकारी सीओ अनिल राय ने बताया कि सरगना के खास रंजीत की तलाश में पुलिस टीम को झारखंड भेजने के साथ ही एक टीम को कुछ तथ्यों की जानकारी जुटाने कोलकाता भेजा गया है। बताया कि प्रयागराज स्थित लोकसेवा आयोग से दो दिवस में मांगी गई जानकारी एसआइटी को छह दिन बाद भी नहीं उपलब्ध कराई गई है।

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