काशी में यूरोपीय साहित्य : यूरोप के लेखकों की कविता और कहानियों से झलकी मानवीय संवेदनाएं Varanasi news
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि साहित्यिक के भावों का कैनवास पूरे विश्व में एक जैसा ही होता है।
वाराणसी, जेएनएन। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि साहित्यिक के भावों का कैनवास पूरे विश्व में एक जैसा ही होता है। चाहे वह प्रेम पर आधारित हो या जीवन के यथार्थ पर। ऐसा आभास मंगलवार को उस समय हुआ जब असि स्थित एलिस बोनर इंस्टीट्यूट में 'लांग नाइट ऑफ लिटरेचर' में यूरोप के तीन देशों आयर लैंड, स्विजरलैंड और हंगरी के कवि और लेखकों ने अपनी संवेदनाओं को कविता और कहानियों के जरिए अभिव्यक्त की। पूरे आयोजन की रिपोर्ट आयरलैंड, फिनलैंड और स्पेन के दूतावासों की ओर से बुधवार को जारी की गई। वहीं भारत में यूरोपीय यूनियन के अधिकारियों की ओर से भी यह आयोजन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा कर भारत और यूरोप के साझा साहित्यिक विरासत को और मजबूत करने की जरूरतों पर बल दिया गया है।
साहित्यकारों की नगरी काशी में यह महज संयोग ही था कि आयरलैंड की औदा ने अपनी चार कविताओं का वाचन किया। 15 मिनट की कविता में उन्होंने भाव को इस अंदाज में प्रस्तुत किया कि वह श्रोताओं के दिल में पूरी तरह उतर गया। पहली आयरलैंड की पौराणिक प्रेम कहानियों पर आधारित थी तो दूसरी में एक एक महिला नौकर अपने मालिकों के सामने काम नहीं करने के बहाने बनाती है। भाव को उन्होंने इस भावना से जोड़ा कि लेखक लिखना चाहता है लेकिन वह लिख नहीं पाता। तीसरी जहां कवयित्री पर आधारित थी वहीं चौथी कविता प्रेमाधारित थी।
इस मौके पर दूसरी लेखिका हंगरी की च्यूडिक हिडास ने एक महिला के 20 से 40 वर्ष के जीवन में दूसरी महिलाओं से संबंधों के विविध आयामों को संक्षिप्त में पढ़ा। इसे 16 छोटी कहानियों में कहानीकार ने गढ़ा है जिसमें इस आयु वर्ग की एक महिला का दूसरी अन्य महिला संबंधियों जैसे मां, बहन, बेटी, जेठानी, देवरानी से संबंध को यथार्थ रूप में दिखलाया गया है। यह महिला अपनी इच्छा के विरुद्ध यह संबंध जीती है जिसमें उसे कष्ट होता है मगर उसे यह तकलीफ पता नहीं चलती। यह कहानी महिला के अपने पिता से संबंध पर भी प्रकाश डालती है।
तीसरी महिला लेखिका स्विटजरलैंड की दाना ग्रिगोर्चा थीं जो अपनी जन्म भूमि रोमानिया को अपने लेखन में नहीं भूल पाती हैं। कहानी में एक महिला स्विटजरलैंड में जब मकान खोजती है तो उसे लगता है कि वह बुखारेस्ट शहर ( रोमानिया ) में है। उसी तरह दूसरे लेख में रोमानिया की आजादी 1989 के बाद जब गायक माइकल जैक्सन रोमानिया 1990 में आते हैं तो सारा देश उनके गीत - संगीत में झूम जाता है। तीनों यूरोपियन साहित्यकारों की रचनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी से श्रोताओं को वसंत स्कूल राजघाट के सिद्धार्थ मेनन, बीएचयू प्रो. के कुमार सूर्य प्रकाश व वानी व्रत मोहन्ती ने रूबरू कराया। वाराणसी में पहली बार इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ।