वाराणसी कांग्रेस में मान मनौव्वल का दौर जारी, इस्तीफे से पीछे हटे महासचिव मनीष शर्मा
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में दो दिनों से चल रही रार से एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी सामने आ गई है। दोनों गुटों के नेता भले ही कह रहे हैं कि न तो कोई विवाद और न ही गुटबाजी है पार्टी पदाधिकारियों के जारी इस्तीफे हकीकत बयान कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। कांग्रेस में अंतरकलह की बात सामने आने के बाद मान-मनौव्वल का दौर शुरू हो गया है। एक गुट का कहना है कि जब तक महानगर अध्यक्ष माफी नहीं मांगते तब तक इस्तीफा वापस नहीं लिया जाएगा। वहीं मंगलवार को इसमें नया मोड़ आ गया। महानगर महासचिव मनीष शर्मा ने इस्तीफे से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि रविवार को न तो मैं कार्यक्रम में था और न ही सोमवार को शहर में। एक रिश्तेदार का निधन हो जाने के कारण मैं शहर से बाहर था। पार्टी की ओर से जारी किए गए इस्तीफा पत्र पर हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। कुछ लोगों ने उनकी छवि धूमिल करने के लिए ऐसा किया है।
बहरहाल, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में दो दिनों से चल रही रार से एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी सामने आ गई है। दोनों गुटों के नेता भले ही कह रहे हैं कि न तो कोई विवाद और न ही गुटबाजी है, पार्टी पदाधिकारियों के जारी इस्तीफे हकीकत बयान कर रहे हैं। बनारस कांग्रेस के अंदरखाने झांककर देखें तो साफ तौर पर दो धुर दिखाई पड़ते हैं। इसमें एक के साथ ज्यादातर युवा जुड़े हैं तो दूसरे के साथ पुराने कांग्रेसी। हालांकि विवाद की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और प्रदेश सचिव इमरान खान को भी है, लेकिन अभी प्रदेश नेतृत्व किसी तरह के हस्तक्षेप से बच रहा है।
दरअसल, रविवार को इंगग्लिशिया लाइन पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व विधायक अजय राय एक अन्य कार्यक्रम में व्यस्तता के कारण 50 मिनट की देरी से पहुंचे। तय समय से पहुंच चुके पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्रा और विजय शंकर पांडेय ने बिना इंतजार किए कार्यकर्ताओं के साथ पं. कमलापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और वापस इंग्लिशियालाइन कार्यालय चले गए। उनके जाने के ठीक बाद पहुंचे पूर्व विधायक कार्यक्रम हो जाने के कारण वापस इंग्लिशियालाइन पार्टी कार्यालय गए तो जरूर लेकिन अंदर नहीं गए। महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे को बिना इंतजार किए कार्यक्रम संपन्न हो जाना नागवार लगा। बताया जा रहा है कि उन्होंने पार्टी कार्यालय जाकर विजय शंकर पांडेय से दुर्व्यवहार भी किया। यह देख पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्रा भी असहज हो गए। मामला बढ़ता देख अविनाश मिश्रा ने बीच बचाव किया।