पर्यावरण संरक्षण : पराली से Bio Fertilizer बना किसानों के लिए मिसाल बने मीरजापुर के योगेंद्र
खेतों में पराली जलाने की बजाए जैविक खाद बनाकर किसानों के लिए सीखड़ ब्लाक के योगेंद्र कुमार सिंह मिसाल बन रहे हैं। पराली जलाने की बजाए जैविक खाद की तरह उपयोग करें। सबसे बड़ी बात पराली देने वाले किसानों को तैयार करके जैविक खाद निश्शुल्क वितरित कर रहे हैं।
मीरजापुर, जेएनएन। खेतों में पराली जलाने की बजाए जैविक खाद बनाकर किसानों के लिए सीखड़ ब्लाक के योगेंद्र कुमार सिंह मिसाल बन रहे हैं। किसानों को उनके पराली के बदले जैविक खाद तैयार कर रहे हैं। दो किग्रा गुड़, 200 लीटर पानी, 100 एमएल बेस्ट डी कंपोजर और एक एकड़ खेत की पराली को डी कंपोज करके 200 एमएल जैविक खाद तैयार कर रहे हैं।
खेतों में जलने वाले पराली से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, इसको रोकने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है साथ ही साथ शासन-प्रशासन द्वारा भारी भरकम खर्चा करके पूरे देश में सैटेलाइट से खेतों की निगरानी भी कराई जा रही है। ऐसे में विकास खंड सीखड़ के किसान योगेंद्र कुमार सिंह अपने अनूठे प्रयास से जनपद सहित पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणस्रोत बन गए हैं। कृषि विभाग के सहयोग से किसान द्वारा खेतों में पराली जलाने की बजाए घर पर ही जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात पराली देने वाले किसानों को तैयार करके जैविक खाद निश्शुल्क वितरित कर रहे हैं।
कैसे तैयार होती है जैविक खाद
एक एकड़ खेत के पराली में दो किग्रा गुड़ 200 लीटर पानी, 100 एमएल बेस्ट डी कंपोजर को एक महीनें तक छोड़ देते हैं। किसान योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 5-6 दिन पर बीच-बीच में इसको चलाते रहते हैं। एक महीने में जैविक खाद तैयार होती है। बताया कि इसमें दो किग्रा सरसों की खली मिला दिया जाए तो जैविक खाद लगभग 15 दिन में ही तैयार हो जाती है।
पराली जलाने की बजाए जैविक खाद की तरह उपयोग करें
फसल अवशेष (पराली) जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसलों की वृद्धि एवं उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही खेत में पाये जाने वाले मित्र कीटों के मरने से खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। मिट्टी की कार्बन जलकर नष्ट होने से खेत में फसल उगाना संभव नहीं होता है। पराली जलाने की बजाए जैविक खाद की तरह उपयोग करें।
- डा. अशोक उपाध्याय, उप निदेशक कृषि, मीरजापुर।