पर्यावरण संरक्षण : लॉकडाउन में पौधे पर पौधे लगा डा.रुचिका ने बनाया जंगल
पूरा देश लॉकडाउन में घरों में कैद होकर जीवन की उलझनों में उदास था उधर डा.रुचिका इन सबसे बेपरवाह मानवता को जिंदगी देने में व्यस्त थीं। उन्हें पता था कि स्वस्थ पर्यावरण ही अंतत सभी समस्याओं का निराकरण करने में सहायक सिद्ध होगा।
मऊ, जेएनएन। इधर पूरा देश लॉकडाउन में घरों में कैद होकर जीवन की उलझनों में उदास था, उधर डा.रुचिका इन सबसे बेपरवाह मानवता को जिंदगी देने में व्यस्त थीं। उन्हें पता था कि स्वस्थ पर्यावरण ही अंतत: सभी समस्याओं का निराकरण करने में सहायक सिद्ध होगा। लॉकडाउन के दौर में उन्होंने तीन हेक्टेयर जमीन में एक हजार पौधों का रोपण करके उसे तार से घेरकर जंगल ही उगा दिया। अन्य स्थानों पर फुटकर में जो सैकड़ों पौधे लगाए, वह अलग। यह सब उन्होंने किया बतौर इनरव्हील क्लब अध्यक्ष, क्लब की इनरव्हील फारेस्ट योजना के तहत। समाज और पर्यावरण सेवा की एक से बढ़कर एक मिसाल पेश कर डा.रुचिका मिश्रा ने बेहद कम समय में देश भर के सदस्यों को अपने काम से प्रभावित ही नहीं बल्कि हैरान कर दिया है। इनरव्हील फारेस्ट की योजना को साकार करने पर जहां उन्हें इनरव्हील की एसोसिएशन प्रेसिडेंट वसुधा चंद्रचूड और मंडल चेयरमैन नुसरत राशिद की सराहना मिली है, वहीं दोनों जिलों के हजारों लोग उनकी कार्यशैली से प्रसन्न हैं। बड़ी बात यह है कि यह सबकुछ उन्होंने कोविड-19 के संक्रमण और लॉकडाउन के बाद की उपजी परिस्थितियों में ही कर दिखाया है।
पेशे से डीसीएसके पीजी कालेज में प्राध्यापक डा.रुचिका मिश्रा की पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता किसी से छिपी नहीं है। उनके घर के प्रवेश द्वार से ही उनका पर्यावरण प्रेम हरियाली बिखेरने लगता है। कोविड-19 संक्रमण के दौरान विषम परिस्थितियों में उन्हें इनरव्हील क्लब के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन इस दौरान भी वह समाज और संगठन की हर जिम्मेदारी पर खरी उतरीं। हजारों हाथों तक स्वयं व क्लब के सदस्यों के सहयोग से न सिर्फ उन्होंने मास्क और सैनिटाइजर पहुंचाया, बल्कि जेल में बंद कैदियों के हाथ के बने सैनिटाइजर स्टैंड को अस्पतालों एवं शिक्षण संस्थानों में अपने माध्यम से विक्रय कराकर कैदियों की आर्थिक मदद की। बेहद सरल स्वभाव की डा.रुचिका ने कहा कि जब उन्होनें जिले के चकरा गांव में एक कुएं की सफाई कराया, कुछ पौधे लगाए, इसके बाद बलिया के मिसिरचक में जब एक हजार पौधों का जंगल लगाया तो उन्हें बिल्कुल ऐसा नहीं लगा जैसे उन्होंने कुछ अलग कर दिया है। लेकिन, संगठन के इंटरनेट मीडिया पेज पर जब उनकी प्रशंसा राष्ट्रीय स्तर पर की जाने लगी तब उन्हें लगा कि लगता है कुछ काम हो गया है।
समाज की मदद में अब नहीं हटेंगे कदम
डा.रुचिका बताती हैं कि उन्हें इसी जुलाई में इनरव्हील क्लब के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं, जबकि कालेज की छात्राओं को छोटी-छोटी मदद करनी हो या छात्रों को उत्साहित कर पौधे लगवाने का कार्य वह पहले से करती आ रही हैं।
जिले में नहीं मिली जमीन तो बलिया पहुंचीं रुचिका
इनरव्हील क्लब ने अपनी इस वर्ष की योजना में इनरव्हील फारेस्ट की एक योजना बनाई। अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते ही डा. रुचिका ने इसे पूरा करने की ठानी। अपने परिचितों के माध्यम से उन्होंने बहुत प्रयास किया कि कोई अपनी खाली जमीन उन्हें जंगल बनाने के लिए दे दे, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। तब अपने लोगों के माध्यम से उन्हें बलिया जिले के सिकंदरपुर मिसिरचक गांव में तीन एकड़ खाली जमीन मिली। इस पर उन्होंने फलदार, औषधीय व इमारती लकडिय़ों वाले पौधों का जंगल तैयार कर उसको तार से घेर दिया है। पौधे अभी छोटे हैं लेकिन जल्द ही उनकी हरियाली हजारों लोगों के मन को हरियाली देने लगेगी। प्रभागीय वनाधिकारी डा.संजय बिस्वाल ने कहा कि डा.रुचिका ही नहीं यदि समाज का कोई व्यक्ति इस तरह का प्रयास करे तो वन विभाग उसके साथ है।