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मंदी से उबरने के लिए वित्त मंत्री को सुझाव भेजेंगे उद्यमी, एमएसएमई सेक्टर की उपेक्षा

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से विनायक प्लाजा मलदहिया स्थित संगठन के कार्यालय उद्यमियों ने बजट 2020 की घोषणाओं पर मंथन किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 09:50 AM (IST)
मंदी से उबरने के लिए वित्त मंत्री को सुझाव भेजेंगे उद्यमी, एमएसएमई सेक्टर की उपेक्षा
मंदी से उबरने के लिए वित्त मंत्री को सुझाव भेजेंगे उद्यमी, एमएसएमई सेक्टर की उपेक्षा

वाराणसी, जेएनएन। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से विनायक प्लाजा, मलदहिया स्थित संगठन के कार्यालय उद्यमियों ने बजट 2020 की घोषणाओं पर मंथन किया। उद्यमियों की समस्याओं एवं निवारण पर सभी ने अपनी राय रखी। आइआइए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी की अध्यक्षता में उद्यमियों ने कहा कि इस बार का बजट एमएसएमई सेक्टर की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा। वित्त मंत्री ने मैन्युफैक्चङ्क्षरग सेक्टर पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया।

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पंकज अग्रवाल, नीरज पारीख एवं राहुल मेहता ने आर्थिक विकास दर बढ़ाने एवं मंदी से उबरने के लिए एमएसएमई पर फोकस करने के लिए वित्त मंत्री को सुझाव भेजने का प्रस्ताव रखा। चौधरी ने कहा कि बाजार को मंदी से उबारने के लिए इस बजट में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। इनकम टैक्स की दरों में परिवर्तन का प्रथम दृष्टया कोई लाभ प्रतीत नहीं हो रहा है। इससे पता चल रहा है कि आर्थिक समीक्षा में मेक इन इंडिया योजना में संशोधन कर असेंबल इन इंडिया जोड़ दिया गया। कार्यक्रम में उद्यमियों ने बजट में इनकम टैक्स के पुराने विवादों को समाप्त करने की दिशा में विवाद से विश्वास योजना एवं आडिट की सीमा एक करोड़ से पांच करोड़ किए जाने के निर्णय का स्वागत किया। संगठन के राजेश भाटिया ने एमएसएमई के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कोई विशेष उपाय नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त की। इस मौके पर राजकुमार शर्मा, पंकज अग्रवाल, राहुल मेहता, आरसी जैन, हर्षद तन्ना, रतन कुमार सिंह, रामस्वरूप अग्रवाल, मनीष कटारिया, ओम प्रकाश बदलानी, नीरज पारीख, श्रीनारायण खेमका, यूआर सिंह, उमाशंकर अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, कुमार सौरव, दीपक बजाज, प्रशांत अग्रवाल आदि मौजूद थे।

नहीं बढ़ा जीडीपी में योगदान

सरकार ने सितंबर 2014 में जोर-शोर से मेक इन इंडिया योजना शुरू करते व्यक्त लक्ष्य रखा था की देश के सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 तक 25 प्रतिशत कर दिया जाएगा। बावजूद इसके सितंबर 2019 तक यह 17.38 प्रतिशत पर अटका हुआ था। 


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