बोले वाराणसी के उद्यमी : हम 17 करोड़ माह देते हैं, आप हमें दो लाख रुपये का ट्रांसफार्मर नहीं दे सकते
उद्यमी आरके चौधरी ने कहा कि हर माह हम 17 करोड़ से अधिक रुपये बिल का भुगतान करते हैं। इसके बाद भी हमें दो-तीन लाख रुपये का मोबाइल ट्रांसफार्मर नहीं मिल रहा है। बिजली जाने से एक ओर हमारा खर्च बढ़ता है वहीं विभाग का मीटर रूक जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने बुधवार को आयुक्त सभागार में आयोजित बैठक में कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों की ओर से बिजली विभाग को एक साल में 200 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त होता है। बिजली विभाग के अधिकारियों की तरह इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हर माह हम 17 करोड़ से अधिक रुपये बिल का भुगतान करते हैं। इसके बाद भी हमें दो-तीन लाख रुपये का मोबाइल ट्रांसफार्मर नहीं मिल रहा है। बिजली जाने से एक ओर हमारा खर्च बढ़ता है, वहीं विभाग का मीटर रूक जाता है। अध्यक्षता कर रहे मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि यह शर्म की बात है कि छह माह पहले उठा मुद्दा अभी तक निस्तारित नहीं हुआ।
मंडलायुक्त ने सख्त निर्देश दिया कि उद्यमियों की जो भी समस्या हो इसका जल्दी निस्तारित की जाए। इस पर विद्युत वितरण मंडल द्वितीय के अधीक्षण अभियंता दीपक अग्रवाल ने बताया कि वहां के लिए मोबाइल ट्रांसफार्मर स्वीकृत हो गया है। जल्द ही पहुंच जाएगा। वहीं आरके चौधरी ने मोबाइल ट्रांसफार्मर के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र रामनगर में 33 केवी विद्युत उपकेंद्र स्थापति करने की भी मांग की। इसके लिए बिजली विभाग एवं उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को आपस में समन्वय बनाकर भूमि मुहैया कराने की जरूरत है। इस पर मंडलायुक्त ने कहा कि भूमि उपलब्ध कराकर सब स्टेशन बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके बाद आरके चौधरी एवं अन्य उद्यमियों ने कहा कि सरकार 7.5 फीसद विद्युत सुरक्षा में छूट दे रही हैं, लेकिन संबंधित विभाग की ओर से इसमें भी आनाकानी की जा रही है।
इससे पहले बैठक की शुरुआत में मंडलायुक्त ने आरके चौधरी द्वारा कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की पहल की जमकर सराहना की। बताया कि पूरे प्रदेश में उद्यमियों की पहल पर पहला ऑक्सीजन प्लांट काशी में स्थापित किया गया, जो एक मिशाल बना। इसके बाद उद्यमदियों ने ऋण प्राप्त एवं सुविधाओं को पाने में बैंकों द्वारा परेशान किए जाने के मामले को जोरशोर से उठाया। चौधरी कहा कि बैंक की ओर से 100 फीसद तक कोलेटरल (लोन लेने के लिए गिरवी रखना) की मांग की जाती है। जो सरासर गलत है। कहा कि सरकार एमएसएमई सेक्टर को बढ़ाना चाहती हैं लेकिन बैंक अधिकारियों का रवैया रोड़ा बड़ जाता है। इस पर पीएनबी में डीजीएम ने कहा कि कोलेटरल का निर्धारण उद्यमी के क्रेडिट रेटिंग के आधार पर किया जाता है। इस लिए सभी यह नियम एक समान लागू नहीं हो सकते। इस पर मंडलायुक्त ने कहा कि अगर उद्यमियों की मांग जायज हैं तो यह समस्या दुबारा सामने नहीं आनी चाहिए। उन्होंने इस समस्या के लिए आवेदन मांगा। वहीं उद्यमियों ने कहा कि बैंक अपना एनपीए सुधारने की आड़ में उद्यमियों की मांगों को दरकिनार करते हैं।
आरके चौधरी के साथ ही उद्यमी देवा ने आरोप लगाया कि स्टॉक स्टेटमेंट समय से जमा करने के बाद भी बैंक रीन्यूअल नहीं करता है। समय पूरा होने पर तीन दिन पहले आपत्ति लगाकर भेज देता है। ऐसे में उद्यमी मात्र तीन दिन में ही आपत्ति को कैसे दूर कर सकता है। इस पर मंडलायुक्त ने निर्देश दिया गया कि स्टेटमेंट जमा करते समय इसकी रीसिविंग ली जाएं ताकि संबंधित बैंक की जवाबदेही बन सके। इस पर उद्यमियों ने कहा कि बैंक शाखा में रीसिविंग देते ही नहीं।
करखियांव औद्योगिक क्षेत्र फूड पार्क से उद्यमी मनोज मधेसिया ने कहा कि रिंगरोड बनने से पूरा क्षेत्र 10 फिट तक नीचे हो गया है। इसके लिए बार-बार यूपी सिडा से रैंप बनाने की मांग की जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि राशि स्वीकृत होन के बाद भी यहां जर्जर गेस्ट हाउस का मरम्मत नहीं हाे रहा है। इस पर अधकािरयों ने कहा कि जल्द ही इस पर कार्रवाई शुरू की जाएगी।
रियल एस्टेट की समस्याओं को बिल्डर आरसी जैन ने उछाला। कहा कि एनसीआर के फाल्ट के कारण पूर्वांचल के इस उद्योग को निगेटिव लिस्ट में क्यों डाला गया है। इस पर पीएनबी के अधिकािरयों ने कहा कि इस उद्योग को अब निगेटिव लिस्ट से हटाकर न्यूट्रल में कर दिया गया है। वहीं राजेश भाटिया ने औद्योगिक क्षेत्र में सड़क-नाली की समस्या को जोरशोर से उठाया। इस समस्या पर मंडलायुक्त ने संबंधित अधिकािरयों को कड़ी चेतावनी दी। वहीं इस पर संयुक्त आयुक्त, उद्योग उमेश कुमार सिंह ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों सड़क मरम्मत व निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। बैठक में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा सहित तमाम बैंकों के अधिकारी एवं उद्यमी मौजूद थे।