रासायनिक या जैविक की बजाय प्राकृतिक खेती पर दिया जाए बल ; बोले गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि रासायनिक या जैविक की बजाय प्राकृतिक खेती पर बल दिया जाए। किसानों की आय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि खेती में उनकी लागत घटाई जाय।
वाराणसी, जेएनएन। मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र, बीएचयू में वैदिक विज्ञान केंद्र के सहयोग से प्राकृतिक खेती विषयक विशिष्ट व्यख्यान आयोजित हुआ। बतौर मुख्य वक्ता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।
रासायनिक खेती या जैविक खेती की बजाय उन्होंने प्राकृतिक खेती पर बल दिया। कहा किसान की आय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि खेतों में लगने वाली उसकी लागत को घटाई जाए, जो केवल प्राकृतिक खेती से ही संभव है। बताया रासायनिक खेती में उपज तो बढ़ जाती है, लेकिन खेत की उर्वरा शक्ति लगातार घटती है। साथ ही फसल में हानिकारक तत्व भी बढ़ जाते हैं, जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का कारक बनते हैं। जैविक खेती में लागत तो रासायनिक खेती जितनी ही लगती है, मगर उपज घट जाती है। वहीं प्राकृतिक खेती में लागत न के बराबर लगती है और उपज रासायनिक खेती जितनी मिलती है। देशी गाय के गोबर व गोमूत्र से तैयार खाद के प्रयोग से खेतों में जीवाणुओं की संख्या को कई गुना तक बढ़ाया जा सकता है, जो उपज की जड़ों के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं। बताया इस विधि से एक देशी गाय से 30 एकड़ खेती संभव है। इससे न तो पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचता है, न उपज में हानिकारक तत्व पहुंचते हैं। साथ ही पानी की खपत भी करीब आधी रह जाती है। आचार्य देवव्रत के मुताबिक इस विधि में देशी गाय के गोबर व गोमूत्र से दो तरह की खाद जीवामृत व घन-जीवामृत बनाई जाती है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि प्रकृति के नजदीक रहना सबसे बड़ी दवा है। इस दौरान उन्होंने विवि के शिक्षकों से प्राकृतिक खेती पर प्रयोग करने की अपील की। कहा इसकी उपयोगिता को सिद्ध कर जनपद के आस-पास के किसानों को इसके लाभ से अवगत कराएं।
स्वागत रजिस्ट्रार डा. नीरज त्रिपाठी एवं वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक डा. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, संचालन प्रो. सुमन जैन व धन्यवाद ज्ञापन संयोजक प्रो. आनंद मोहन ने किया। इस अवसर पर प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी, प्रो. रमेश कुमार, वित्ताधिकारी डा. अभय कुमार ठाकुर, प्रो. एसके दुबे, प्रो. आरपी उपाध्याय, प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र, प्रो. आरएस दुबे, प्रो. आरपी पाठक, प्रो. एके राय, प्रो. मधुकर राय आदि थे।