नई तकनीक से ओवरलोड ट्रांसफार्मर को बंद करने की मिलेगी सुविधा, बिजली इंतजाम को बेहतर करने की कवायद
आनलाइन ही फीडर या उससे जुड़े ओवरलोड ट्रांसफार्मर को बंद करने की भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए जी इलेक्ट्रिक कंपनी व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के बीच करार हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के 633 कस्बों की बिजली व्यवस्था हाईटेक होगी। 1745 उपकेंद्रों के फीडरों को सीधे लखनऊ और नोएडा स्थित कमांड सेंटर से जोड़ने की तैयारी हो रही है। इससे फीडरों पर ओवर करंट, अर्थ फाल्ट, पावर, रियेक्टिव पावर, वोल्टेज, फ्रिक्वेंसी, लोड की आनलाइन देखरेख हो सकेगी। साथ ही आनलाइन ही फीडर या उससे जुड़े ओवरलोड ट्रांसफार्मर को बंद करने की भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए 'जी' इलेक्ट्रिक कंपनी व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के बीच करार हुआ।
स्काडा के पहले चरण का यह कार्य इस कंपनी को अन्य डिस्कॉम में भी करना होगा। करीब58.97 करोड़ की लागत से यह कार्य 18 माह में पूरा करना है। लगेगी फीडर रियल टाइम यूनिट फीडर के पास कंपनी रियल टाइम यूनिट लगाएगी, जो सीधे उपकेंद्रों के फीडरों से जुड़ेगी। इसके बाद मल्टी प्वाइंट प्रोटोकाल लिंक सिस्टम लगेगा। यहां से वास्तविक डाटा लखनऊ व नोएडा स्थित कमान सेंटर फिर अधिकारियों को मिलेगा जिससे वे निगरानी कर सकेंगे। सैफी-सैडी का अहम रोल पहले चरण में सैफी व सैडी सिस्टम से कार्य होगा। सैफी यानी सिस्टम एवरेज इंट्रप्शन फ्रिक्वेंसी इंडेक्स व सैडी को सिस्टम एवरेज इंट्रप्शन ड्यूरेशन इंडेक्स कहा जाता है। इसके माध्यम से पता चलेगा कि फीडर कब-कब कितनी अवधि के लिए बंद हुआ। इस पर संबंधित अधिकारियों को जवाब भी देना होगा। प्राथमिकता में यह शहर हर डिस्कॉम के प्रमुख शहरों में प्राथमिकता से इसी माह कार्य शुरू हो जाएगा। इसमें वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, मथुरा व अलीगढ़ शामिल है। वर्जन - यह सिस्टम लागू होने के बाद बिजली व्यवस्था हाईटेक हो जाएगी। प्रथम चरण में अभी फीडरों को जोड़ा जा रहा है। इसके बाद सभी बिजली घर, वितरण के ट्रांसफार्मर व उपभोक्ताओं की पूरी डिटेल भी इस सिस्टम से जुड़ेगी। इसके लिए 31 दिसंबर को जी कंपनी के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुआ।