पूर्व सपा विधायक की पत्नी और एनएययूआइ के प्रदेश अध्यक्ष को ईडी की नोटिस, कांशीराम पार्क घोटाले से जुड़े तार
बसपा सरकार में करोड़ों रुपये की लागत से लखनऊ में बने डा. अंबेडकर पार्क में लाल पत्थर आपूर्ति करने वाले आरोपितों के संपत्ति की जांच तेज हो गई है। नोटिस देकर अपने संपत्ति का पूरा ब्योरा एक सप्ताह के अंदर ईडी दफ्तर आकर देने का निर्देश दिया है।
सोनभद्र [प्रशांत शुक्ल]। बसपा सरकार में करोड़ों रुपये की लागत से लखनऊ में बने डा. अंबेडकर पार्क में लाल पत्थर आपूर्ति करने वाले आरोपितों के संपत्ति की जांच तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने सपा के पूर्व विधायक रमेशचंद्र दुबे की पत्नी अंजना दुबे व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र नारायण को नोटिस देकर अपने संपत्ति का पूरा ब्योरा एक सप्ताह के अंदर ईडी दफ्तर आकर देने का निर्देश दिया है।
प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक राजकुमार सिंह ने 11 नवंबर को नोटिस जारी करके एक सप्ताह के अंदर दोनों आरोपितों को लखनऊ उपस्थित होने को कहा है। पत्र के माध्यम से उन्हे अवगत कराया गया है कि वर्ष 2007 से 2011 के बीच प्रदेश में बने पांच स्मारकों में हुई अनियमितताओं की धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत उनकी जांच की जा रही है। 22 नवंबर 2019 को धनशोधन अधिनियम की धारा 50 के तहत अंजना दुबे ने आपना बयान दर्ज प्रवर्तन निदेशालय में कराया था। इस दौरान उन्होंने जो ब्यौरा देने को कहा था वह आज तक उपलब्ध नहीं हो सका है। इसलिए पूर्व विधायक की पत्नी अपने फर्म वैष्णों स्टोन के सदस्यों का विवरण, फर्म द्वारा उपलब्ध कराए गए मीजापुर पत्थर की मात्रा क्या थी, प्रत्येक सदस्य के हिसाब से। पत्थर के लिए किए गए भुगतान का विवरण। वर्ष 2007-2011 के बीच अंजना दुबे व परिवार के सदस्यों के नाम बैंक खातों का विवरण व चल-अचल संपत्तियों का पूरा विवरण मांगा गया है।
क्या था यह मामला
बसपा शासन के दौरान लखनऊ में बने पार्क में लाल पत्थर की आपूर्ति के नाम पर करोड़ों की जालसाजी की गई थी। लोकायुक्त जांच में पता चला था कि मीरजापुर से निकले लाल पत्थरों को यहीं के कारखानों में तराशकर राजस्थान का बताया गया था। लोकायुक्त ने सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इस मामले में लोकायुक्त ने घोरावल से तत्कालीन सपा विधायक समेत 20 लोगों को दोषी करार दिया था। जांच के बाद पूर्व जिलाधिकारी चंद्रकांत ने सपा विधायक रमेश दुबे की पत्नी अंजना दुबे के नाम सुकृत में संचालित पत्थर खदान का पट्टा (आराजी सं. 310/4, रकबा 6.20 एकड़) तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया था। इसके अलावा घोरावल से ही पूर्व बसपा व वर्तमान भाजपा विधायक अनिल मौर्या व बसपा के पूर्व सांसद प्रत्याशी शारदा प्रसाद मौर्य को भी लोकायुक्त ने दोषी पाते हुए इनकी भी पत्थर खदान निरस्त करने के आदेश दिए थे।
सीबीआइ जांच की थी सिफारिश
लोकायुक्त ने पत्थर खरीद-फरोख्त में शामिल लोगों की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच सीबीआई से कराने की प्रदेश सरकार से सिफारिश की है। उनका तर्क था कि बसपा शासन काल में हुए पत्थर घोटाले में दोषी पाए गए अधिकांश लोग वर्तमान में सत्ता पक्ष के विधायक या कार्यकर्ता हैं। ऐसी स्थिति में आगे की जांच प्रभावित हो सकती है इसलिए जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। प्रर्वतन निदेशालय लगातार मामले के अभियुक्तों की आय की जांच कर रही है।
ऐसे होता था खेल
लखनऊ पार्क के बारे में अधिकांश लोग यही जानते हैं कि यहां पर लगे लाल पत्थर जयपुर से आए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। पत्थर जयपुर नहीं, मीरजापुर के हैं। यह बात लोकायुक्त जांच में सामने आई है। जांच के मुताबिक 840 रुपये प्रति घन फीट के पत्थरों को फर्जी ढंग से जयपुर का बताकर उसका रेट 1890 रुपये प्रति घनफीट कर दिया जाता था। इस तरह करोड़ों रुपये का खेल किया गया।