पर्यावरण को नहीं होगा नुकसान, चुंबकीय पदार्थों से बने एलॉय से बनेंगे फ्रिज और एसी
आज के समय में फ्रिज और एसी लोगों की जरूरत बन गए हैं, इनके बिना किसी का काम नहीं चल रहा है, हालांकि एसी, फ्रिज जलवायु संग जीवन के लिए घातक हैं।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव] । आज के समय में फ्रिज और एसी लोगों की जरूरत बन गए हैं। इनके बिना किसी का काम नहीं चल रहा है। हालांकि एसी, फ्रिज जलवायु संग जीवन के लिए घातक हैं। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के प्रमुख कारक एसी व फ्रिज जैसे उत्पाद हैं। इसे ध्यान में रख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू में बिना गैस के चलने वाले एसी और फ्रिज पर शोध किया गया है। जिसके अनुसार एसी व फ्रिज मैग्नेटिव मैटेरियल (चुंबकीय पदार्थ) से चलाए जा सकेंगे। इससे फ्रिज में वस्तुएं ठंडी और एसी से कमरे वातानुकूलित होंगे। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने खोज के लिए स्कूल ऑफ मैटेरियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, आइआइटी बीएचयू के डा. संजय सिंह को युवा वैज्ञानिक सम्मान से नवाजा है।
बाहर होंगे हानिकारक उत्पाद : डा. संजय बताते हैं कि आज के फ्रिज व एसी पहले की तुलना में कम ऊर्जा खपत कर रहे हैं। हालांकि यह भी नाकाफी है। यह नई खोज काफी हद तक ज्यादा ऊर्जा खपत को सीमित कर देगी। यह तकनीक पर्यावरणीय हानिकारक रेफ्रिजरेटर को उपयोग से बाहर करने में मददगार है।
हानिकारक गैस उत्सर्जन होगा कम : चुंबकीय पदार्थों पर आधारित एसी और फ्रिज से ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम होगा। इसमें टॉप मॉडल फ्रिज व एसी की तुलना में आधी बिजली खपेगी। कारण कि इसमें कंप्रेसर की जरूरत नहीं होगी। एसी व फ्रिज में इस्तेमाल होने वाली गैस का विपरीत असर ओजोन परत पर पड़ता है।
चुंबकीय पदार्थ में ये तत्व शामिल : डा. संजय बताते हैं कि चुंबकीय पदार्थ बनाने में तीन पदार्थ निकिल, मैंगनीज और गैलियम का प्रयोग किया गया। इन्हें मिला कर एसी-फ्रिज लायक मैग्नेटिक मैटेरियल एलॉय (मिश्र धातु) तैयार किया गया है।
माइनस 170 डिग्री तक नीचे तापमान : डा. संजय ने बताया कि चुंबकीय क्षेत्र लागू करते हैं तो एलॉय धातु गर्म होती है। इसे बंद कर दिया जाता है तो सामग्री का तापमान अपने मूल स्तर तक गिर जाता है। सामग्री के चारों ओर बहने वाला पानी ही तापमान को गिराता है। लैब में जांच की गई तो पाया गया कि चुंबकीय पदार्थ से एसी या फ्रिज चलाने पर तापमान माइनस 170 डिग्री तक नीचे पहुंच जा रहा है।
खर्च और कम करने पर शोध जारी : डा. संजय ने बताया कि इसमें सफलता मिलने के बाद आगे के शोध पर काम चल रहा रहा, ताकि मैग्नेटिक मैटेरियल से बने पदार्थ का खर्च और कम किया जा सके। चुंबकीय पदार्थ एल्युमिनियम वेस्ट से भी एलॉय बनाने पर भी काम चल रहा है।
भारत में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन
घरेलू रेफ्रिजरेटर
25.4: मिलियन टन कार्बनडाईआक्साइड का उत्सर्जन वर्ष 2000 में
48.5: मिलियन टन कार्बनडाईआक्साइड का उत्सर्जन वर्ष 2014 में
एयरकंडिशनर
81.5: मिलियन टन कार्बनडाईआक्साइड का उत्सर्जन वर्ष 2000 में
146: मिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन वर्ष 2014 में