वाराणसी में मनमाने तरीके से ई-रिक्शा का हो रहा संचालन, न तो पार्किंग का इंतजाम और न रूट तय
वाराणसी शहर को प्रदूषण मुक्त कराने और यात्रियों की सुविधा के लिए चलाए जा रहे ई-रिक्शा अब शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। इनका कोई रूट निर्धारित नहीं है जिधर से मन किया उधर से चल दिए। इतना ही नहीं ये यात्रियों से मनमाना किराया भी वसूलते हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : शहर को प्रदूषण मुक्त कराने और यात्रियों की सुविधा के लिए चलाए जा रहे ई-रिक्शा अब शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। इनका कोई रूट निर्धारित नहीं है, जिधर से मन किया उधर से चल दिए। इतना ही नहीं, ये यात्रियों से मनमाना किराया भी वसूलते हैं। मनमाने तरीके से ई-रिक्शा का संचालन होने, खड़े होने के लिए पार्किंग न होना और जिम्मेदारों की उदासीनता साफ दिखाई दे रही है। चालकों की लापरवाही के चलते शहर में जगह-जगह जाम और दुर्घटनाएं आम हो गई है।
यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए शहर में ई-रिक्शा का संचालन किया गया। पहले चालक ई-रिक्शा पर सीट के हिसाब से चार सवारी बैठाते लेकिन कुछ ही दिनों में चालकों ने मनमानी शुरू कर दी। ई-रिक्शा पर पीछे की दोनों सीट पर तीन-तीन और चालक के दोनों तरफ यात्री बैठे रहते हैं। शहर की यातायात व्यवस्था संचालित करने के लिए चाैराहे पर तैनात उप निरीक्षक, दीवान और सिपाही देखने के बाद भी बने रहते हैं मूकदर्शक।
हाइवे पर चलने की अनुमति नहीं
ई-रिक्शा की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह रफ्तार सिर्फ शहर के अंदर चलने की होती है, ऐसे में इन्हें हाइवे पर चलने की अनुमति नहीं है। कैंट रेलवे स्टेशन, रोडवेज और प्राइवेट बस स्टैंड से यात्री को हाइवे तक पहुंचा सकते हैं।
नादान हाथों में स्टेयरिंग
यात्रियों को ढोने वाले चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण लेना चाहिए। इसके बाद परिवहन विभाग को ड्राइविंग लाइसेंस जारी होना चाहिए। चालक बिना प्रशिक्षण लिए ट्रेनिंग सेंटर से प्रमाणपत्र हासिल कर लेते हैं। यही कारण है कि चालकों को यातायात नियमों की जानकारी नहीं होती है। इन नादान हाथों में स्टेयरिंग होने से दुर्घटनाएं अधिक होती है।
इतने इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत
8709 ई-रिक्शा
89 ई-कार
574 स्कूटी
रूट निर्धारण नहीं होने से शहर में जाम जरूर लगता है
बढ़ते प्रदूषण को लेकर इलेक्ट्रिक या बैट्री चालित वाहनों पर ज्यादा जोर है। ई-रिक्शा के पंजीयन पर सरकार की ओर से कोई संख्या तय नहीं की गई है जबकि अन्य वाहनों पर शासन से दिशा-निर्देश मिलते रहते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों का प्राथमिकता पर पंजीयन किया जाता है। रूट निर्धारण नहीं होने से शहर में जाम जरूर लगता है।
-सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ (प्रशासन)