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पुण्य की कामना से मौन हो लगाई डुबकी

जासं, वाराणसी : मौनी अमावस्या पर मंगलवार को दशाश्वमेध सहित प्रमुख घाटों पर लाखो श्रद्धालुओं ने गंग

By Edited By: Published: Tue, 16 Jan 2018 10:15 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 04:29 PM (IST)
पुण्य की कामना से मौन हो लगाई डुबकी
पुण्य की कामना से मौन हो लगाई डुबकी

जासं, वाराणसी : मौनी अमावस्या पर मंगलवार को दशाश्वमेध सहित प्रमुख घाटों पर लाखो श्रद्धालुओं ने गंगा मे श्रद्धा की मौन डुबकी लगाई। अक्षयफल की प्राप्ति व लोक परलोक सुधारने की मंगल कामना की। दान-पुण्य और मदिरो मे पूजा-अर्चना की। इसके बाद लोगो ने खरीदारी की। भीड़ को देखते हुए गोदौलिया और घाटो पर सुरक्षा का सख्त पहरा था।

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मौनी अमावस्या के पुण्यकाल मे स्नान को लेकर बड़ी संख्या मे स्नानार्थी सोमवार की रात मे ही घाटों पर डेरा जमा लिए थे। इनमे आसपास के ग्रामीण इलाको के अलावा हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छलाीसगढ़, दिल्ली, महाराष्ट्र से आए लोगों की संख्या ज्यादा रही। भोर मे तीन बजे से स्नान का क्रम शुरू हो गया, जो दोपहर तक निरंतर चलता रहा।

स्नानार्थियों मे महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। गंगा स्नान के पश्चात लोगों ने पुरोहितों व पंडों को अन्न, वस्त्र, काली तिल व दक्षिणा दान दिया। श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजन-अर्चन भी किया। गंगा स्नान के साथ ही बाबा विश्वनाथ व मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। शीतला घाट, केदारघाट, अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, प्रयाग घाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया घाट व भैसासुर घाट पर स्नानार्थियों के आने का क्रम सुबह से दोपहर तक चला।

इस मौके पर घाटों पर सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए थे। दशाश्वमेध घाट पर तो मध्यरात्रि से ही पुलिस, पीएसी, खुफिया विभाग व जल पुलिस के जवान चक्रमण करते दिखाई दिए। चितरंजनपार्क के समीप दशाश्वमेध घाट की ओर जाने वाले दोनों मार्गो पर मेटल डिटेक्टर लगाकर लोगों की तलाशी ली गई। पुलिस के कुछ जवान हैड मेटल डिटेक्टर से लोगों के बैग, झोले व अन्य सामान की तलाशी लेते रहे। स्नानार्थियों की भीड़ को देखते हुए मैदागिन से गोदौलिया, लक्सा से गोदौलिया व सोनारपुरा से गोदौलिया तथा दशाश्वमेध मार्ग पर सुबह से ही वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था। गोदौलिया चौराहे पर नागरिक सुरक्षा संगठन व समाज संगठन के स्वयंसेवकों ने लोगों की सहायता की। मौनी अमावस्या पर दशाश्वमेध व आसपास क्षेत्रो मे भोर से ही कपड़ा, पूजा सामग्री, चाय आदि की कुछ अस्थाई दुकाने सज गई थी। स्थान-ध्यान के बाद खरीदारी भी की गई।


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