मौसम की मार : महंगाई में कुछ इस तरह बारिश संग ओलावृष्टि से होने जा रहा है इजाफा
बेमौसम की बरसात ने आम आदमी ही नहीं बल्कि अन्नदाताओं की भी कमर तोड़ दी है।
वाराणसी, जेएनएन। बेमौसम की बरसात ने आम आदमी ही नहीं बल्कि अन्नदाताओं की भी कमर तोड़ दी है। दरअसल मानसून की देरी से विदायी के बाद से ही मौसम का रुख लगातार बिगड़ा हुआ है। खेती- किसानी भी समय- समय पर बारिश और ओलावृष्टि से बाधित होती रही है। मगर लगातार बारिश और ओलावृष्टि के साथ ही तेज हवाओं की वजह से मौसम का रुख चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। एक आेर लंबे समय तक बारिश झेलने के बाद खरीफ की फसल का उत्पादन बाधित हुआ तो दूसरी ओर सर्दियों में रबी की फसल भी प्रभावित होना तय है। हालांकि गुरुवार के बाद शुक्रवार को सुबह और शाम को होने वाली बारिश से दुश्वारियां भी सिर उठाने लगी हैं।
सर्दियों में रख रखाव के अभाव में धान की बोरियां भीगने से अनाज भीगने और खराब होने की स्थितियां भी खूब बनीं हैं। जबकि बारिश की वजह से दलहन, तिलहन रबी और खरीफ की फसल लगातार प्रभावित हो रही है। इसकी वजह से फसलों का उत्पादन भी प्रभावित होना तय है। इसका सीधा असर आने वाले वित्तीय सत्र में बाजार में पड़ना तय है। जबकि आम की बौर खराब होने से आम की इस बार फसल भी प्रभावित रहेगी और कीमतों में इजाफा तय है। दूसरी ओर ईंटों की पथाई होने के बाद भी भीगने से भवन निर्माण सामग्री भी कुछ सप्ताह बाद महंगी होने लगेगी।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अनियमित मौसम की वजह से तापमान भी अनियमित रहा और फसलों का उत्पादन भी आशा के अनुरुप नहीं होने वाला है। इसकी वजह से बाजार में मांग की अपेक्षा उत्पादन कम होने से बाजार भाव में इजाफा होना तय है। ओलावृष्टि और बारिश के साथ ही तेज हवाओं की वजह से फूलों के झड़ने का भी असर फसल उत्पादन पर पड़ा है। खासकर पूर्वांचल के फसल उत्पादन के लिए बेहतर क्षेत्रों में भी मौसम का रुख चुनौतीपूर्ण रहा है। वहीं ठंड के लंबे समय तक टिकने की वजह से फसलों में दाने भी देर से बन रहे हैं या कमजोर दानाें की सूरत बनने लगी है। अगर मौसम का रुख सप्ताह भर में सामान्य नहीं हुआ तो फसल का उत्पादन भी प्रभावित होना तय है।
दूसरी ओर प्रभावित किसानों के अनुसार बरसात से आलू, प्याज और लहसुन की फसल भी प्रभावित हुई है। जिसमें सर्वाधिक नुकसान आलू का हुआ है जिसकी वजह से खेत में ही आलू सड़ने की स्थिति बन गई है। आम के बौर समाप्त होने से बागों में आम के कम टिकोरे ही नजर आ रहे हैं। तैयार खेतों में गन्ने की फसल लगाने के लिए खेत भीगने की वजह से गन्ने की बोआई भी बाधित चल रही है। दूसरी ओर किसानों की फसल चौपट होने से उनमें आगामी सीजन को लेकर भी चिंता है।