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वाराणसी में कोरोना संक्रमण के कारण अब गांव में काम नहीं और शहर में दुकानें बंद, रोजी-रोटी का संकट

कोविड संक्रमण की पहली लहर में श्रमिकों को काम देने के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं बनीं लेकिन जमीन पर आकार नहीं ले सकीं। लिहाजा श्रमिकों ने भी झोला उठाया और स्थिति सामान्य होते ही मुंबई व दिल्ली लौट गए। दूसरी लहर में फिर वहीं समस्या सामने आ खड़ी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 08:40 AM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 08:40 AM (IST)
वाराणसी में कोरोना संक्रमण के कारण अब गांव में काम नहीं और शहर में दुकानें बंद, रोजी-रोटी का संकट
कोविड के साथ ही रोजी रोटी का लेकर बड़ा सकंट है।

वाराणसी, जेएनएन। कोविड संक्रमण की पहली लहर में श्रमिकों को काम देने के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं बनीं लेकिन जमीन पर आकार नहीं ले सकीं। लिहाजा, श्रमिकों ने भी झोला उठाया और स्थिति सामान्य होते ही मुंबई व दिल्ली लौट गए। दूसरी लहर में फिर वहीं समस्या सामने आ खड़ी है। बाहर के छोडि़ए यहां पहले से पंजीकृत श्रमिकों के लिए भी गांव में काम नहीं है। पांच मई तक आचार संहिता की वजह से पंचायतों में कार्य पहले से ही ठप पड़े हैं। कुछ गांव में अफसरों की सख्ती के बाद काम शुरू हुए हैं लेकिन उसकी संख्या भी दस फीसद से कम ही है। तीन पूर्व मुख्य विकास अधिकारी ने इस अफसरों के साथ बैठक कर गांवों में तत्काल काम शुरू कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही लापरवाही के मामले में पर कई के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।

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बताया जा रहा है कि चिरईगांव ब्लाक में मात्र नौ ग्राम पंचायतों में ही कार्य शुरू हुआ है। वह भी सिर्फ 77 श्रमिकों को काम मिला है। ब्लाक हरहुआ में मात्र 10 ग्राम पंचायतों में 104 श्रमिक को बामुश्किल से काम मिला है। पिंडरा में उससे भी खराब स्थिति यानी सिर्फ पांच ग्राम पंचायतों में ही कार्य शुरू हुआ है। कुल 179 श्रमिक कार्यरत हैं। ब्लाक चोलापुर में 210 श्रमिक को काम मिले हैं। यह आंकड़े स्वयं यह साक्ष्य दे रहे हैं कि काम में श्रमिकों के लिए कोई काम नहीं है। कोविड का संक्रमण इस बार गांव में भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। गांव के अधिक श्रमिक शहरों से जुड़े कारोबार से जुड़े हैं। इधर शहर में आंशिक कर्फ्यू व साप्ताहिक बंदी के कारण दुकानें ठीक से खुल नहीं रही हैं। लिहाजा काम मिल नहीं रहा। ग्रामीण अंचल से जुड़े अधिकारी भी इस बात को स्वीकार रहे हैं कि कोविड के साथ ही रोजी रोटी का लेकर बड़ा सकंट है। हालांकि मुख्य विकास अधिकारी ने ब्लाक के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि काम में तेजी लाएं। मैन पॉवर की कमी का आलम यह है कि पंचायत से जुड़े अधिकतर कर्मचारी इस समय गांव में सैनिटाइजेश्न व मेडीसिन किट वितरण में लगे हैं। मनरेगा में तैनात संविदा कर्मी हड़ताल पर हैं।

पांच सौ के करीब अकुशल कामगारों की वापसी

जिले के अधिकारियों का कहना है कि इस बार लॉकडाउन नहीं होने के कारण श्रमिकों की बहुत ज्यादा वापसी नहीं हुई लेकिन मुंबई, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से लगभग पांच सौ अकुशल श्रमिक आएं हैं। इन लोगों को मनरेगा में काम दिलाने की कोशिश की जा रही है।

जिले में पहले से मौजूद सक्रिय जॉब कार्डधारकों की संख्या

ब्लाक -- -- -- -- - सक्रिय जॉब कार्डधारक

बड़ागांव -- -- -- -- -- -- -- -12773

पिडंरा -- -- -- -- -- -- -- -- -14879

चोलापुर -- -- -- -- -- -- -- -15101

चिरईगांव -- -- -- -- -- -- -- -6667

हरहुआ -- -- -- -- -- -- -- -- 8409

सेवापुरी -- -- -- -- -- -- -- -16336

आराजीलाइन -- -- -- -- -- -- 20089

काशी विद्यापीठ -- -- -- -- -- -7571


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