Jagran Forum 2021 : बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए डा. रजनीकांत लिख रहे नई पटकथा
कला के शहर बनारस के पद्मश्री डा. रजनीकांत पूर्वांचल के हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने के साथ शिल्पियों के विकास की पटकथा लिख रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि बनारस व पूर्वांचल की बौद्धिक संपदा अपने मूल स्थान के नाम से जानी जाए
वाराणसी, जेएनएन। दैनिक जागरण की ओर से 15 मार्च को वाराणसी में जागरण फोरम का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हो रहे हैं। आयोजन के दौरान गंगा, पर्यावरण और भारतीय संस्कृति पर लोगों के विचार भी सामने आएंगे। इस दौरान रिवाज, मिजाज, ओडीओपी, खेती और कनेक्टिविटी सहित तमाम बिंदुओं पर विभिन्न सत्रों में चर्चा होगी। जिसमें वाराणसी जिले के जीआइ विशेषज्ञ डा. रजनीकांत भी अपने विचार साझा करेंगे।
कला के शहर बनारस के पद्मश्री डा. रजनीकांत पूर्वांचल के हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने के साथ शिल्पियों के विकास की पटकथा लिख रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि बनारस व पूर्वांचल की बौद्धिक संपदा अपने मूल स्थान के नाम से जानी जाए और इसका लाभ इन्हें बचाए रखने वाले गांव-गलियों के शिल्पियों को मिले। इस जीवटता के चलते वे अब तक 13 उत्पादों का जीआइ पंजीयन करा चुके हैैं और अभी आधा दर्जन से अधिक प्रक्रिया में हैं। उन्हें पद्मश्री सम्मान से पहले 2017 में देश के बौद्धिक संपदा पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। मूलरूप से मीरजापुर निवासी डा. रजनीकांत बीएचयू से पीएचडी हैैं। तीन दशक से समाजसेवारत ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव डा. रजनीकांत बुनकरों, शिल्पियों, भूमिहीन महिलाओं व बच्चों के विकास के साथ ही शिक्षा क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं।