ओडीएफ मामले में लापरवाही पर डीपीआरओ निलंबित, फर्जी तरीके से गांवों को ओडीएफ घोषित करने का आरोप
शासन के निर्देशों की अवहेलना व आंकड़ों की बाजीगरी कर फर्जी तरीके से गांवों को ओडीएफ घोषित करना डीपीआरओ शेषदेव पाण्डेय को महंगा पड़ गया।
बलिया, जेएनएन। शासन अब फर्जी आंकडों के सहारे आेडीएफ घोषित करने वाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई के मूड में आ चुकी है। शासन के निर्देशों की अवहेलना व आंकड़ों की बाजीगरी कर फर्जी तरीके से गांवों को ओडीएफ घोषित करना डीपीआरओ शेषदेव पाण्डेय को महंगा पड़ गया। शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए कागजी खानापूॢत करने वाले जिला पंचायत राज अधिकारी शेषदेव पाण्डेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यही नहीं, इन पर लगे आरोपों की जांच के लिए उप निदेशक (पंचायत) वाराणसी मंडल को जांच अधिकारी भी नामित किया गया है। निलंबन अवधि में डीपीआरओ निदेशालय से संबद्ध रहेंगे।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत घोषित ओडीएफ गांवों की पिछले दिनों जांच कराई गई थी, जिसमें काफी गड़बड़ी सामने आई थी। इस पर मिशन निदेशक ने 29 मई को पत्र जारी कर डीपीआरओ से तीन माह के अंदर 915 ग्राम पंचायतों का सत्यापन कार्य पूरा करने का निर्देश दिया था किंतु डीपीआरओ ने इसमेें कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी। इस वजह से न तो सत्यापन का कार्य पूरा हो सका और न ही जांच में मिली गड़बड़ी ही ठीक हो सकी। बावजूद डीपीआरओ ने मंडल स्तर पर सत्यापन का प्रस्ताव भेज दिया।
इससे इतर सितम्बर में ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार ओडीएफ घोषित 1844 ग्रामों का उप निदेशक (पंचायत) व मंडलीय टीमों ने औचक निरीक्षण किया था। इसमें 1094 ग्रामों में शौचालय निर्माण में बड़े पैमाने पर कमियां सामने आई थीं। जिसे आधार बनाकर टीम ने इन गांवों का ओडीएफ प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया था। यह जिला प्रशासन के मुंह पर करारा तमाचा सरीखा था। बावजूद इसके डीपीआरओ कार्यालय के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। डीपीआरओ ने लगातार विभागीय योजनाओं व शासकीय कार्यों में शिथिलता बरतने का काम किया। शासन ने इस कृत्य को गंभीरता से लेते हुए डीपीआरओ शेष देव पांडेय को निलंबित करने का फरमान जारी कर दिया।