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मीरजापुर सहित पूर्वांचल के सात जिलों में छ सौ गिलोय नर्सरी से निकलेगा इम्युनिटी का डोज

पूर्वांचल के मीरजापुर सोनभद्र चंदौली वाराणसी गाजीपुर जौनपुर और भदोही में जनपद में यह नर्सरियां तैयार की जाएंगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:18 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 05:54 PM (IST)
मीरजापुर सहित पूर्वांचल के सात जिलों में छ सौ गिलोय नर्सरी से निकलेगा इम्युनिटी का डोज
मीरजापुर सहित पूर्वांचल के सात जिलों में छ सौ गिलोय नर्सरी से निकलेगा इम्युनिटी का डोज

मीरजापुर [मनोज द्विवेदी]। आयुर्वेद में गिलोय को रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली सबसे प्रमुख औषधि माना गया है। अब जबकि चारों ओर कोरोनावायरस महामारी का भय व्याप्त है और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी लोगों से इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। ऐसे में गिलोय की नर्सरी तैयार कर इम्युनिटी मजबूत बनाने की दिशा में बेहतर पहल की गई है। गिलोय मिशन के तहत मीरजापुर सहित पूर्वांचल के सात जिलों में करीब छह सौ गिलोय नर्सरियां तैयार की जाएंगी। जो आने वाले समय में कोरोना का भय दूर करने में रामबाण साबित होंगी।

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पूर्वांचल के मीरजापुर, सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर और भदोही में यह नर्सरियां तैयार की जाएंगी। बीएचयू बरकछा के कृषि विज्ञान परिषद के मृदा वैज्ञानिक डा. एसएन सिंह ने बताया कि गिलोय नर्सरी वास्तव में बहुत ही अच्छा प्रोजेक्ट है। इसके साथ ही ङ्क्षवध्य पहाड़ी पर हरड़ व चिरौंजी की खेती को बढ़ावा देने का भी काम किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार बीएचयू के गिलोय मिशन से करीब पांच सौ किसानों को नर्सरी लगाने के लिए सैंपल के तौर पर पौधे भी वितरित किए जाएंगे। जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ओपी तिवारी ने बताया कि गिलोय प्राचीन काल से ही इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है और इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ्य व निरोग रखने में सहायक होते हैं। इतना ही नहीं गिलोय का सेवन कोरोना जैसी महामारी में भी बेहद लाभकारी है और दिन प्रतिदिन इसकी मांग भी बढ़ती जा रही है।

हरड़ के दस हजार पौधे

वन प्रभाग के एसडीओ पीके शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष हरड़ के दस हजार पौधे लगाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि यह कार्य पिछले वर्ष से ही चल रहा है और दो सौ पौधे लगाए भी गए हैं। अब इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। पेट की कई बीमारियों व इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक त्रिफला चूर्ण के मुख्य अवयय हरड़ की खेती से आम किसानों को भी जोड़ा जाएगा ताकि औषधीय खेती से उनकी कमाई भी बढ़ सके। अधिकारियों ने बताया कि हरड़ के अलावा चिरौंजी, सहूतत, सतावर, अश्वगंधा, सहजन, कनैल, आंवला, बेल, लेमनग्रास आदि के पौधे भी प्रमुखता से लगाए जाएंगे।

इस वर्ष 56 लाख पौधे

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वन क्षेत्रों में इस वर्ष कुल 56 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। जनपद की विभिन्न विभागीय नर्सरियों में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। एक जुलाई से पौधरोपण का कार्य शुरू कराया जाएगा। डीपीआरओ अरविंद कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर भी इस बार औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। इसकी जानकारी प्रधानों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जा रही है। औषधीय खेती के लिए उद्यान विभाग की ओर से भी कई रियायतें दी जा रही हैं।


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