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Doctors Day : कोरोना संक्रमण से डरे हुए मेडिकल स्टाफ को दिया हौसला, होता गया इलाज और ठीक होते गए मरीज

Doctors Day कोरोना के शुरुआती दौर में मेडिकल स्टाफ कोसों दूर भाग रहा था तब गाजीपुर जिला चिकित्सालय में कार्यरत डा. स्वतंत्र सिंह कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए आगे आए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:35 AM (IST)
Doctors Day : कोरोना संक्रमण से डरे हुए मेडिकल स्टाफ को दिया हौसला, होता गया इलाज और ठीक होते गए मरीज
Doctors Day : कोरोना संक्रमण से डरे हुए मेडिकल स्टाफ को दिया हौसला, होता गया इलाज और ठीक होते गए मरीज

गाजीपुर, जेएनएन। हर वर्ष पहली जुलाई को Doctors Day डॉक्टर्स-डे पूरे देश में मनाया जाता है। डॉक्टर को धरती पर भगवान का रूप कहा जाता है। वह कई लोगों को उनकी जिंदगी वापस लौटाते हैं। डॉक्टरों के समर्पण और ईमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। हम एक ऐसे डॉक्टर की बात करेंगे जो कोविड-19 योद्धा के रूप में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। कोरोना के शुरुआती दौर में मेडिकल स्टाफ कोसों दूर भाग रहा था, तब जिला चिकित्सालय में कार्यरत डा. स्वतंत्र सिंह कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए आगे आए। उनकी मेहनत की वजह से जो मेडिकल स्टाफ कोरोना मरीजों का इलाज करने से पीछे हट रहा था आज वह मेडिकल स्टाफ डॉ स्वतंत्र सिंह की प्रेरणा से आगे बढ़ चढ़कर कोरोना मरीजों का इलाज करने में तत्पर दिख रहा है। रामपुर जीवन गांव के रहने वाले हैं।

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डा. स्वतंत्र सिंह के पिता स्व. बलभद्र सिंह डाक विभाग में कर्मचारी थे। गांव के 20 किलोमीटर की रेडियस में कोई भी स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर न होने की वजह से पिता ने अपने पुत्र को डॉक्टर बनाने का सोचा और आज पिता के सपनों को उन्होंने सच कर दिखाया। डा. स्वतंत्र सिंह ने बताया कि कोरोना अस्पताल में ड्यूटी करते समय कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिले। एक वक्त ऐसा भी आया जब इन्हें 14 दिनों के लिए एक होटल में क्वारंटाइन होना पड़ा। इस दौरान उन्हें परिवार व बच्चों को देखने तक के लिए तरसना पड़ा। कभी-कभी उन्हें दूर से शीशे के अंदर से ही देखकर संतुष्टि कर वापस अपने ड्यूटी पर चले जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि कोटा से आये 360 छात्रों की रैपिड जांच की गई थी जिसमें एक छात्रा पॉजिटिव आ गई। इसके बाद वह काफी डरी व सहमी थी। लेकिन उन्होंने उसे काफी मोटिवेट किया। बाद में रिपोर्ट नेगेटिव आई तो छात्रा ने घर जाते वक्त हम सभी मेडिकल स्टाफ को थैंक्यू बोला। वह पल काफी सुखद रहा।

पिता की मौत भी नहीं रोक पायी चिकित्सक की कर्तव्यनिष्ठा

खानपुर थानाक्षेत्र के रामपुर निवासी डा. ताहिर को पिता की मौत भी कोरोना की जंग लडऩे से नहीं रोक पायी। पिता मुन्नवर अली के मौत के दूसरे दिन ही बागपत के खेकड़ा सीएचसी पर कोविड-19 अस्पताल में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग की बागडोर संभाल ली। खेकड़ा सीएचसी के अधीक्षक डा. ताहिर ने बताया कि गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद में पिता की मौत की खबर सुनते ही मन विचलित हो गया। दूसरा भाई जाहिद भी मुम्बई में फंसा हुआ था एक तरफ पिता का अंतिम दर्शन और दूसरी तरफ पिता की दी हुई सेवाभाव की सीख के बीच उलझ कर रह गया। अदृश्य महामारी से लडऩे का जज्‍बा जिम्मेदारी छोड़कर जाने से मना कर रहा था पर सहयोगी स्टाफ के कहने पर मैं पिता के सुपुर्दे $खाक में गया और दूसरे दिन ही बागपत के खेकड़ा सीएचसी लौट आया। कोविड में ड्यूटी की वजह से पिता के अनुपस्थिति में मां के पास भी नहीं बैठ पाता था पर ड्यूटी से मुक्त होते ही घंटों फोन पर मां को सांत्वना देता था, पत्नी बच्चों को मोबाइल वीडियो से अपने नजदीक पाता था, पर कोरोना की जंग में लड़ाई को कमजोर नहीं पडऩे दिया। रामपुर के पूर्व प्रधान शेषनाथ सिंह कहते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में एक डॉक्टर अहम भूमिका निभाता है। जहां एक तरफ लोगों के लिए डॉक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और दूसरी तरफ डॉक्टर्स भी अपने मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरे समर्पण के साथ निभाते हैं। तो ऐसे में उनका सम्मान हमारे लिए गर्व की बात होनी चाहिए। रामपुर के ग्रामप्रधान फिरोज खान ने कहा कि दुनिया में डॉक्टर्स को बहुत सम्मान दिया जाता है, जिसमें भारत में तो उन्हें पूजा जाता है. वैसे इंसान इस काबिल नहीं कि उसकी तुलना भगवान से की जाये, लेकिन डॉक्टर ने अपने काम से ये दर्जा हासिल कर लिया है।


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