सरकारी नोटिस से काशी राज परिवार आहत, कहा- धूमिल न करें छवि, डीएम ने दिए जांच के आदेश Varanasi news
नगर निगम से पिछले दिनों गृहकर बकाया की नोटिस मिलने से आहत काशी राज परिवार ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।
वाराणसी [जेपी पांडेय]। नगर निगम से पिछले दिनों गृहकर बकाया की नोटिस मिलने से आहत काशी राज परिवार ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। राज परिवार का कहना है कि जिस संपत्ति को राज परिवार ने जनहित में दान कर दिया है उस संपत्ति पर भी बकाए की नोटिस भेजी जा रही है। यह ठीक नहीं है। काशी राज परिवार के पत्र पर जिलाधिकारी ने समिति गठित कर जांच का आदेश दिया है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
नरेश ने दान में दी थी भूमि
काशी नरेश स्व. डा. विभूति नारायण सिंह के पुत्र डा. अनंत नारायण सिंह ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि वर्ष 1949 में बनारस इस्टेट का विलय भारत संघ में हुआ। विलीनीकरण के समय मर्जर एग्रीमेंट निष्पादित हुआ। मर्जर एग्रीमेंट एवं कोलेटरल लेटर के मुताबिक चीफ कोर्ट बिल्डिंग एवं क्रमांक अस्तबल-फीलखाना, गाड़ी कारखाना महाराज साहब को मिली थी। फीलखाना एवं गाड़ी खाना 36वीं वाहिनी पीएसी को दे दी गई। इसी प्रकार रामनगर नगर पालिका भवन, रामनगर हास्पिटल (लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल), महाराजा प्रभु नारायण इंटर कालेज, जूनियर प्राइमरी पाठशाला, नलकूप आदि संपत्ति 1949 में राज्य सरकार को दी गई। सभी संपत्तियों पर प्रशासन का कब्जा है लेकिन नाम आज भी राज परिवार का चल रहा है। ऐसे में जब संपत्ति को लेकर विवाद या भवन को लेकर कोई बकाया राशि देने की बात आती है तो नोटिस भेज दिया जाता है। जिला प्रशासन या संबंधित विभाग को देखना चाहिए कि उस संपत्ति पर कौन काबिज है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
काशी राज परिवार ने दान की संपत्तियों की सूची जिला प्रशासन को सौंपी है। जांच समिति सूची के मुताबिक देखेगी कि किन-किन संपत्तियों को काशी राज परिवार ने दान किया है। किन संपत्तियों पर जिला प्रशासन का नाम दर्ज हो चुका है, कौन सी संपत्ति बची है, नाम क्यों दर्ज नहीं हुए, दर्ज होने में क्या दिक्कत है। किस स्तर पर लापरवाही बरती गई है। आदेश होने के बावजूद संबंधित विभाग ने राजस्व अभिलेख में नाम दर्ज नहीं कराया तो क्यों, यदि उनके स्तर से लापरवाही बरती गई तो उन्हें दोषी माना जाएगा।
पुनरावृत्ति रोकने के लिए जांच
जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि काशी राज परिवार ने जनहित में कोई संपत्ति दान की होगी तो फाइल जरूर बनी होगी, फिर भी राजस्व अभिलेख में नाम नहीं दर्ज होना आश्चर्य की बात है। संबंधित विभाग को बकाया की नोटिस भेजने से पहले देख लेना चाहिए, वहां कौन काबिज है। गलत नोटिस जारी होने से काशी राज परिवार की छवि धूमिल होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इस तरह की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए समिति गठित कर जांच के आदेश दिए गए हैं।