DLW का बदलेगा नाम, रेलवे बोर्ड को तीन नाम के सुझावों वाला पत्र भेजा गया
विश्व बाजार में अपनी पहचान बनाने वाले डीजल रेल इंजन कारखाना यानी डीरेका का नाम बदलेगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड को तीन नाम के सुझावों वाला पत्र भेजा गया है।
वाराणसी, जेएनएन। विश्व बाजार में अपनी पहचान बनाने वाले डीजल रेल इंजन कारखाना यानी डीरेका का नाम बदलेगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड को तीन नाम के सुझावों वाला पत्र भेजा गया है जिसमें 17 अगस्त 2017 को जारी एक पत्र का हवाला देते हुए पीएमओ की मंशा से भी अवगत कराया गया है।
रेलवे बोर्ड के सेकेट्री को संबोधित करते हुए 30 जनवरी 2020 को डायरेक्टर चीफ पर्सनल ऑफिसर व हेड क्वार्टर के जनरल मैनेजर जनार्दन सिंह ने पत्र भेजा है। इसमें सुझाए गए तीन नामों पर मुहर लगाने की अविलंब कार्यवाही का अनुरोध किया है। पत्र में सुझाए तीन नामों में पहला बनारस लोकोमोटिव वर्क, दूसरा डीजल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव वर्क व तीसरा काशी विश्वनाथ लोकोमोटिव वर्क है। जनार्दन सिंह ने पत्र में लिखा है कि पहले जहां डीरेका में डीजल इंजन ही बनते थे तो डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) रखा गया था लेकिन अब इसमें इलेक्ट्रिक इंजन भी बनाए जाने लगे हैं। इसलिए नाम परिवर्तित करना प्रासंगिक हो गया है। पत्र के बाबत मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डीरेका नितिन मेहरोत्रा ने जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा पत्र रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। उम्मीद है कि इस बाबत अविलंब निर्णय लिया जाएगा।
विश्व बाजार में डीरेका की बढ़ी धाक
डीजल रेल इंजन कारखाना की धाक विश्व बाजार में बढ़ी है। डीरेका को यूरोपियन स्टैंडर्ड की महत्वपूर्ण संस्था यूनिफ से इंटरनेशनल रेलवे इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (आइआरआइएस) का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। यह प्रमाण पत्र अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन (आइएसओ) का नवीनतम स्टैंडर्ड आइएसओ व टीएस है। डीरेका भारत की रेल इंजन बनाने वाली पहली उत्पादन इकाई है, जो इस कसौटी पर खरा उतरी है। यह प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के बाद डीरेका को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अलग पहचान बनी है।
डीजल से विद्युत रेल इंजन तक
डीरेका की स्थापना हुई थी तो डीजल रेल इंजन बनाया जाता था लेकिन वक्त बीतने के साथी डीरेका विद्युत इंजन बनाने लगा। इतना ही नहीं पुराने डीजल इंजन को भी विद्युत इंजन में कन्वर्ट करने की क्षमता भी डीरेका के पास है। डीरेका का डीजल इंजन भारत के पड़ोसी देशों में खूब लोकप्रिय है।