DLW कम लागत पर बना रहा विद्युत इंजन, खर्च कम करने के लिए अपनाई गई कई रणनीति
डीजल रेल इंजन कारखाना में विद्युत रेल इंजनों का निर्माण वित्तीय वर्ष 2016-17 से प्रारंभ हुआ। प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के अंतर्गत विद्युत रेल इंजनों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। ओवरहेड लागत को कम करने के उपाय भी किए गए।
वाराणसी, जेएनएन। डीजल रेल इंजन कारखाना में विद्युत रेल इंजनों का निर्माण वित्तीय वर्ष 2016-17 से प्रारंभ हुआ। प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के अंतर्गत विद्युत रेल इंजनों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। इस कड़ी में डीरेका ने विगत वित्तीय वर्ष में न केवल विद्युत रेल इंजनों की उत्पादन में वृद्धि की बल्कि डीरेका निर्मित विद्युत रेल इंजनों की लागत में उल्लेखनीय कमी भी दर्ज की है। पिछले वर्षों की तुलना में विगत वित्तीय वर्ष में डब्ल्यूपी-7 एवं डब्ल्यूएजी-9एच विद्युत रेल इंजनों की लागत में क्रमश: लगभग 40 लाख रुपये (3.3 प्रतिशत) एवं 60 लाख रुपये (5.6 प्रतिशत) की कमी दर्ज हुई।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डीरेका ने श्रमिक, सामग्री और प्रबंधन से जुड़ी प्रचलित रणनीति अपनाई। विनिर्माण प्रक्रिया में श्रमिकों के मोर्चे पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया, ताकि कम समय में रेल इंजनों का उत्पादन किया जा सके। कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न सेमिनार, प्रशिक्षण सत्र एवं व्यावहारिक प्रदर्शन को अपनाया गया । कार्यस्थल की स्थितियों में सुधार के द्वारा कर्मचारियों के मनोबल को भी बढ़ाया गया। सामग्री के मोर्चे पर विद्युत रेल इंजनों के पूर्जों की प्रतिस्पर्धी खरीद को प्रोत्साहित किया गया, परिणामस्वरूप सामग्री की लागत में कमी आई। प्रबंधन के मोर्चे पर, रेल इंजन के निर्माण में लगनेवाले समय-चक्र और कर्मचारियों को कम करने के लिए विभिन्न स्तरों पर पर्यवेक्षण को बढ़ाया गया। ओवरहेड लागत को कम करने के उपाय भी किए गए। दो विद्युत रेल इंजनों के साथ वित्तीय वर्ष 2016-17 से डीरेका में विद्युत रेल इंजनों का उत्पादन प्रारंभ हुआ। डीरेका ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 145 विद्युत रेल इंजनों की तुलना में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 272 विद्युत रेल इंजनों का उत्पादन किया है।