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आठ दिनों में तय की 300 किमी की दूरी, नन्हें पांवों में पड़े छालों ने दिखाया व्यवस्था को आईना

अयोध्या से छह वर्षीय बेटी संग 300 किमी की पदयात्रा कर बलिया के बैरिया पहुंची ललिता देवी को अभी भी लंबा सफर तय करना है। इनका पैदल जाना व्यवस्था को आईना दिखा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 10:31 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 01:30 PM (IST)
आठ दिनों में तय की 300 किमी की दूरी, नन्हें पांवों में पड़े छालों ने दिखाया व्यवस्था को आईना
आठ दिनों में तय की 300 किमी की दूरी, नन्हें पांवों में पड़े छालों ने दिखाया व्यवस्था को आईना

लिया, जेएनएन। तपती दोपहरी, त्वचा झुलसाने वाली धूप के बीच आग उगल रही सड़क पर अयोध्या से अपनी छह वर्षीय बेटी के साथ लगभग 300 किमी की पदयात्रा कर बलिया के बैरिया पहुंची ललिता देवी (30 वर्ष) को अभी भी लंबा सफर तय करना है। गत दिनों बलिया पहुंची ललिता ने बताया कि उसे पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर जाना है। मां-बेटी की दुर्दशा देखकर जहां मन काफी व्यथित हुआ वहीं व्यवस्था पर खीझ भी आई। अनायास मन में सवाल कई प्रकार के कौंध गए।

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आम आदमी की इतनी दुर्दशा क्यों

आखिर सात दशकों की आजादी के बाद भी आम आदमी की इतनी दुर्दशा क्यों है। स्थानीय मैनेजर सिंह स्मारक प्रतिष्ठान के सामने मौजूद सिपाही विनोद यादव व पवन पांडेय ने मां-बेटी को भरपेट भोजन कराया और बिहार सीमा के जयप्रभा सेतु तक एक वाहन से भेज दिया। दैनिक जागरण प्रतिनिधि से बात करते हुए महिला ने बताया कि अपने पति के साथ अयोध्या में रहती थी। दोनों नौकरी करते थे ङ्क्षकतु कोरोना संक्रमण के दौरान अचानक पति गायब हो गए और दो महीने तक उनकी कोई जानकारी नहीं मिली तो थक-हार कर दुर्गापुर अपने मायके को निकल पड़ी। पास में पैसा न होने की वजह से भूख-प्यास मरने से अच्छा है कि अपनों के बीच में जाकर प्राण त्यागा जाए।

भगवान ने चाहा तो 500 किमी की यात्रा भी हो जाएगी पूरी

पिछले आठ दिनों में करीब 300 किमी की दूरी तय करने के कारण दोनों के पांवों में बड़े-बड़े छाले पड़ गए थे। तन के कपड़ों के साथ चेहरा भी स्याह हो गया था। ललिता देवी से जब पूछा गया कि यहां से दुर्गापुर 500 किमी दूर है, कैसे जाओगी तो उसने कहा कि जैसे 300 किमी पैदल आ गई, भगवान ने चाहा तो 500 किमी की यात्रा भी पूरी हो जाएगी। ललिता देवी का पैदल जाना व्यवस्था को आईना दिखा रहा है।

भूखे पेट व फटेहाल अवस्था में गृह नगर पहुंचे सैकड़ों प्रवासी कामगार

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से घर लौटने वालों की दिक्कत कम होने का नाम नहीं ले रही है। हालात इतने बदतर हैं कि ट्रेन में यात्रियों को बैठा कर उन्हें उनकी हालत पर छोड़ दिया जा रहा है। इससे यात्रियों को रास्ते में भोजन व पानी के लिए न सिर्फ तरसना पड़ रहा है बल्कि सूखे हलक से व्यवस्था पर कटाक्ष भी कर रहे हैं। रोज की भांति मंगलवार को भी सुबह से शाम तक तीन स्पेशल ट्रेनों से 2126 प्रवासी मजदूर बलिया पहुंचे। इसमें गुजरात के मोरवी से 1596, दिल्ली निजामुद्दीन से 230 व गुजरात के सूरत से 300 श्रमिक शामिल रहे। प्लेटफार्म पर मौजूद टीम ने मेडिकल परीक्षण का कोरम पूरा करते हुए नाम पता दर्ज कर होम क्वारंटाइन में भेज दिया।  वहीं दूसरी ओर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से रोडवेज की 54 बसों से भी करीब 900 मजदूर जनपद पहुंचे।


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