पंचायत चुनाव की आहट से गांवों में विवाद बढ़े, अपना माहौल बनाने में जुटे ग्राम प्रधान
गांवों में इन दिनों मारपीट विवाद और शिकायतें बढ़ गई हैं। पिछले सात आठ महीनों में पारिवारिक विवाद के बजाय सार्वजनिक स्थलों कोटेदारों प्रधानों की शिकायतें अधिक आ रहे हैं।
गाजीपुर, जेएनएन। गांवों में इन दिनों मारपीट, विवाद और शिकायतें बढ़ गई हैं। पिछले सात आठ महीनों में पारिवारिक विवाद के बजाय सार्वजनिक स्थलों, कोटेदारों, प्रधानों की शिकायतें अधिक आ रहे हैं। कोरोनाकाल के लॉकडाउन में लोग शारीरिक दूरी का पालन करते नजर आए लेकिन अनलॉक शुरू होते ही लोग सड़क, नाली, खड़ंजा, आवास, शौचालय की शिकायत लेकर संबंधित अधिकारियों के पास पंहुच रहे हैं।
वर्तमान ग्रामप्रधान के खिलाफ माहौल बनाने के लिए लोगों के विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन, किसान सम्मान निधि आदि सरकारी योजनाओं की जांच पड़ताल कर लोगों को उकसाया और लड़ाया जा रहा है। जहां पुराने ग्रामप्रधान अपनी कराए गये कामों और एहसानों की फेहरिस्त लेकर लोगों को समझा रहे हैं वही संभावित प्रत्याशियों द्वारा उन्हें भड़का दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन विवाद, शिकायत और मारपीट से माहौल तनावपूर्ण बना है। गांव के हर परिवार को अपने खेमे में खींचने की कोशिश और खुद को सबसे बड़ा शुभचिंतक साबित करने में उन्हें विवाद में घसीटकर परेशान किया जा रहा है। गांव के कुछ राजनीतिक मठाधीश इसका का लाभ उठाकर अपनी अहमियत सिद्ध करने और लड़ाने में मशगूल हैं। गांव का आम आदमी शांत बैठ इस नूराकुश्ती की राजनीतिक उठा-पटक का आनंद ले रहा है। प्रधान पद के कुछ-एक संभावित प्रत्याशियों को छोड़ दें तो अधिसंख्य प्रधान पद के दावेदार गांव के विकास के दावे करते नहीं अघा रहे हैं। वहीं कई दावेदार लोगों को सुनहरा ख्वाब दिखाने में ही मशगूल है। कुछ यही हाल आसपास के अन्य गांवों की भी है। जहां प्रधान पद की लड़ाई चुनाव के महीनों पहले ही शुरु हो गई है और मिलने-मिलाने का दौर प्रारंभ हो चुका है। आने वाले दिनों में चुनाव को लेकर और ज्यादा तैयारी दावेदारों में देखने को मिलेगी। चट्टी चौराहे से लेकर चौपालों तक में पंचायत चुनाव की चर्चा जोर पकडऩे लगी है। कस्बे में एक दर्जन से अधिक प्रधान पद के दावेदार अभी से अपना गुणा-गणित फिट करने में लगे हैं। अपनी डफली अपना राग की तर्ज पर सभी दावेदारी को मजबूत करने में लगे हैं।