जिन्हें विवेक चाहिए वो स्वामी विवेकानंद को पढ़ें, धर्म गुरुओं ने बीएचयू में रखा पक्ष
स्वामी वरिष्ठानंद ने हिंदू धर्म का दार्शनिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पक्ष रखा। ऋग्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि सत्य एक है और संत लोग उसे विभिन्न नाम से जानते हैं।
वाराणसी (जेएनएन) । विश्व महाधर्म सभा की 125वीं वर्षगांठ पर एक गोष्ठी का आयोजन बुधवार को किया गया। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम व शिक्षा संकाय बीएचयू की ओर से शिक्षा संकाय में हुआ। मुख्य अतिथि जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि मानव जाति एक ही है। उसका नाम होमोसेपियंस है यानी विवेक का मानव और जिन्हें विवेक चाहिए वो स्वामी विवेकानंद को पढ़ें।
स्वामी वरिष्ठानंद ने हिंदू धर्म का दार्शनिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पक्ष रखा। ऋग्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि सत्य एक है और संत लोग उसे विभिन्न नाम से जानते हैं। हजारों वर्षों से इस देश ने धर्म को प्राधान्य दिया है। इसलिए दुनिया के किसी भी धर्म को कोई भी जो प्रताडि़त होकर आया उसे हमने अपनाया है। हमें दूसरे धर्म से भी सीखना चाहिए। अहमदाबाद के सेंट जेवियर कालेज के फादर विनायक जाधव ने कहा कि प्रभु ईशु ने सदैव प्रेम का संदेश दिया। ईश्वर प्रेम स्वरूप है और प्रेम पाप से कहीं बड़ा है।
विजडम चेरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष मोहम्मद जकवान नदवी ने कहा पैगम्बर मोहम्मद ने कहा था कि मुझे हिंदुस्तान से ज्ञान की खुशबू आ रही है। जैन धर्म के प्रतिनिधि ब्रह्मचारिणी डा. निर्मला जैन ने कहा कि जीवों का धर्म है आपस में एक दूसरे का उपकार करना। बौद्ध धर्म के सीरी सुमेधा थेरो ने कहा कि प्रार्थना से हमारे अहंकार, ईष्र्या का नाश होता है। सिख धर्म के प्रतिनिधि धर्मवीर सिंह ने कहा कि इंसान का अस्तित्व तभी तक है जब तक वह धर्म से जुड़ा है। अध्यक्षीय भाषण में रामकृष्ण मिशन होम ऑफ सर्विस के सचिव स्वामी ऋतानंद ने सर्वभौमिक व सार-तत्वों को स्पष्ट किया। एक बगीचे की सुंदरता उसके अलग-अलग रूपरंग और गंध वाले फूलों के कारण है। संचालन डा. अभिषेक सिंह व देवाशीष दास ने आभार प्रकट किया।