बनारस में होगा धर्मार्थ कार्य विभाग का निदेशालय, सीएम की सहमति और वित्तीय स्वीकृति के बाद कैबिनेट का इंतजार
देवाधिदेव महादेव की नगरी से अब प्रदेश भर में धर्मार्थ कार्यों का संचालन किया जाएगा।
वाराणसी [प्रमोद यादव]। देवाधिदेव महादेव की नगरी से अब प्रदेश भर में धर्मार्थ कार्यों का संचालन किया जाएगा। काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, विंध्यवासिनी धाम समेत तीर्थों में श्रद्धालु सुविधाओं को विस्तार दिया जाएगा। इसके लिए बनारस में धर्मार्थ कार्य विभाग का निदेशालय बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। मुख्यमंत्री स्तर पर सहमति के साथ ही वित्त विभाग की स्वीकृति मिल गई है। प्रस्ताव कैबिनेट में पारित कराने के बाद गठन की दिशा में कदम बढ़ जाएंगे।
धर्मार्थ संस्थाओं व मंदिरों के व्यवस्थापन से संबंधित कार्यों के निष्पादन के लिए 19 दिसंबर 1985 को अलग से धर्माथ कार्य विभाग का सृजन किया गया था। इसका सिर्फ एक अनुभाग प्रमुख सचिव के नेतृत्व में शासन स्तर पर क्रियाशील है। लगभग साढ़े तीन दशक बाद भी इसका निदेशालय नहीं स्थापित किया जा सका है।
बनारस में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना शुरू होने के बाद ही इसकी जरूरत महसूस की गई। मंदिर 1983 में अधिग्रहण के बाद से शासन के ही अधीन है। इसके अलावा बनारस से ही गोरखपुर और विंध्य धाम में भी तीर्थस्थल विकास-विस्तार की ज्यादातर गतिविधियां किसी न किसी स्तर पर निर्भर हैैं। अयोध्या को नया रूप देने के साथ ही जन्म भूमि पर प्रभु श्रीराम का भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण का खाका खींचने के लिए सबसे बड़ी जुटान भी काशी में हुई। यही नहीं धर्म नगरी काशी देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों की श्रद्धा-आस्था का केंद्र होती है। इस लिहाज से तीर्थ स्थलों को पर्यटन से जोड़ते हुए तमाम प्रोजेक्ट भी चल रहे हैैं। इससे बनारस में ही निदेशालय स्थापित करने की योजना पर काम शुरू किया गया ताकि निर्णय के स्तर पर कार्यों में व्यवधान न आए।
धर्मार्थ कार्य विभाग के कार्य : प्रदेश के समस्त मंदिर व धार्मिक स्थल धर्मार्थ कार्य विभाग के कार्य क्षेत्र में आते हैैं। इसके गठन के उद्देश्य में धार्मिक स्थलों पर मूलभूत जन सुविधाओं यथा मार्ग, विश्राम गृह, प्रकाश, पेयजल व जलपान व्यवस्था कराना था। धर्मार्थ, पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि प्रदेश में धर्मार्थ कार्य को छोड़कर लगभग सभी विभागों के निदेशालय हैैं। विभाग सृजन के साढ़े तीन दशक बाद इसके गठन की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसे बाबा की नगरी काशी में खोला जाएगा ताकि धर्मार्थ गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके।