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Diabetic Patients कर सकते हैं प्राकृतिक शहद का सेवन, बीएचयू के आयुर्वेद चिकित्सकों ने संकलित आकलन शोध में की पुष्टि

पिछले माह अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका जर्नल आफ फूड एंड साइंस टेक्नोलाजी जो हाई इंपैक्ट फैक्टर का है में प्रकाशित हुआ। इसमें पाया गया है कि मधुमेह रोगी प्राकृतिक शहद का उचित मात्रा में उपयोग कर सकते हैं। इससे उनको नुकसान नहीं बल्कि लाभ ही होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 12:12 PM (IST)
Diabetic Patients कर सकते हैं प्राकृतिक शहद का सेवन, बीएचयू के आयुर्वेद चिकित्सकों ने संकलित आकलन शोध में की पुष्टि
मधुमेह रोगी प्राकृतिक शहद का उचित मात्रा में उपयोग कर सकते हैं।

वाराणसी, जेएनएन। मधुमेह रोगियों में शहद का सेवन कितना सुरक्षित है, क्या वे चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं, यह लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। इस जटिल विषय पर बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रोहित शर्मा व विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार चौधरी की टीम ने विश्व भर में मधुमेह व शहद में हुए शोध कार्यों की समीक्षा करते हुए संकलित आकलन शोध किया।

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यह शोध पिछले माह अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका जर्नल आफ फूड एंड साइंस टेक्नोलाजी जो हाई इंपैक्ट फैक्टर का है, में प्रकाशित हुआ। इसमें पाया गया है कि मधुमेह रोगी प्राकृतिक शहद का उचित मात्रा में उपयोग कर सकते हैं। इससे उनको नुकसान नहीं, बल्कि लाभ ही होगा। शहद का भारतीय आयुर्वेद में विभिन्न रोगों की चिकित्सा में अनादि काल से प्रयोग होता आ रहा है। हालांकि शहद के मधुमेह में प्रयोग को लेकर जनमानस में बहुत सी भ्रांतियां हैं। इस ऊहापोह की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए इस पर शोध किया गया है। प्रो. चौधरी के अनुसार अभी कुछ ही दिन पहले राष्ट्रीय संस्था सेंटर फार साइंस एंड एन्वायर्नमेंट यानी सीएसई ने उजागर किया है कि भारतीय बाजारों में बिकने वाले शहद के कई ब्रांड जांच मानकों में फेल पाए गए हैं व मिलावटयुक्त हैं। यह रिपोर्ट भारत व जर्मनी की प्रयोगशाला में संयुक्त रूप से हुए अध्ययनों पर आधारित है। ऐसे में केंद्र सरकार एवं नीति निर्माताओं को चाहिए कि इस गंभीर विषय का संज्ञान ले व व्यापारियों से नियमों का कड़ा पालन करवाते हुए भारतीय बाजारों में शुद्ध प्राकृतिक शहद की उपलब्धता सुनिश्चित करे।

शोध पत्र से प्राप्त जानकारी के मुख्य बिंदु

-शहद चीनी की तरह मीठा है, लेकिन शहद का ग्लाइसेमिक इंडेक्स चीनी की तुलना में कम होता है जो मधुमेह रोगियों के ब्लड में ग्लूकोज को ज्यादा नहीं बढऩे देता।

-शहद मिनरल, विटामिंस, एंटी आक्सीडेंट््स आदि पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो रोगियों की क्वालिटी आफ लाइफ को अच्छा करने में सहायक है।

-यह इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ ही मेटाबोलिज्म को ठीक करते हुए वजन कोलेस्ट्राल व उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

-शहद इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार लाते हुए इंसुलिन के स्तर को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायता करता है।

-शहद के फेनोलिक कंपाउंड्स तत्व एवं एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी आक्सीडेंट गुण डायबिटीज की जटिलता को कम करने व इस रोग में होने वाली कोशिकाओं की क्षति को रोकने में सहायक है।

-कई शोध में शहद को डायबिटीज की दवा के साथ देने पर ब्लड शुगर स्तर और अच्छे से नियंत्रित हुआ। यह रोगियों के घाव भरने में भी सहायक पाया गया।

-यह रोगियों में स्वास्थ्य के संरक्षण, संवर्धन के साथ रोग के लक्षणों में भी आराम देने में सक्षम पाया गया।

-मधुमेह में शहद अग्न्याशय, लिवर, वसा, आंत, मांसपेशी, आंख, रक्त नलिकाओं पर बहुआयामी सकारात्मक प्रभाव देता है, ऐसा पाया गया।

-शहद का सेवन रोगियों द्वारा थोड़ी ही मात्रा में किया जाए व अधिक मात्रा से बचें सेवन काल में चिकित्सीय परामर्श लेते रहें।

-यदि डायबिटीज में ब्लड शुगर नियंत्रण में है तभी शहद का सेवन करें।


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