मधुमेह जागृति दिवस : आयुर्वेद से बनाएं स्नेह तो दूर भागेगा मधुमेह
मधुमेह एक ऐसा रोग है जो दबे पांव आता है और कुछ समय बाद अपने शिकंजे में कस लेता है।
कृष्ण बहादुर रावत, वाराणसी : मधुमेह एक ऐसा रोग है जो दबे पांव आता है और कुछ समय बाद अपने शिकंजे में कस लेता है। अगर व्यक्ति अपनी दिनचर्या को नियमित कर कुछ सावधानी बरते तो इस रोग से बचा जा सकता है। अगर यह रोग हो ही जाता है तो आयुर्वेद से निकटता बनाने से भी इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। बहुत ही सरल इसका उपचार है जितना कि इसको लेकर लोगों में भय बना रहता है।
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय वाराणसी के वैद्य अजय कुमार का कहना है कि डायबिटीज यानी मधुमेह या प्रेमह चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है। आयुर्वेद के अनुसार प्रमेह के 20 प्रकार होते हैं जिसमे से 10 प्रकार कफ की, छह पित्त की और चार वात दोष की विकृति से उत्पन्न होते हैं। कैसे पता चलेगा कि मधुमेह है या नहीं
अत्यधिक प्यास और भूख लगना। नजर की धुंधलापन, बार-बार मूत्र त्याग (जब रात में आपको 3 बार या उससे ज्यादा उठना पड़े)थकान (खासकर खाना खाने के बाद) एवं चिड़चिडापन। घाव न भर रहे हों या धीरे-धीरे भरें। मधुमेह के कारण
मधुमेह का जो मुख्य कारण है वह है जीवन शैली में व्यायाम की कमी और अधिक गुरु, स्निगध और मधुर भोजन का आवश्यकता से अधिक सेवन करना। आनुवाशिक कारणों से भी प्रमेह का रोग होने की संभावना बढ़ती है। तनाव, शोक, क्त्रोध से भी यह रोग होता है। आयुर्वेद मे मधुमेह का उपचार
वैद्य की सलाह से पंचकर्म, विजयसार, जामुन बीज चूर्ण, गुडमार पत्र चूर्ण, शिलाजीत, मेथी दाना, करेले का रस आमला, वसंतकुसुमाकर रस, शिलाजत्वादी वटी, प्रमेहगज केसरी रस, चन्द्रप्रभा वटी, हरिशकर रस का सेवन करे।