'धूमिल ने दिया यथार्थ को कविता का रूप'
जागरण संवाददाता रोहनिया (वाराणसी) जगतपुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय जगतपुर वाराणसी में हिंदी विभाग द्व
जागरण संवाददाता, रोहनिया (वाराणसी) : जगतपुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय जगतपुर वाराणसी में हिंदी विभाग द्वारा 'धूमिल काव्य की पहचान मूल्य संकट और विद्रोह के बीच' विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई। विशिष्ट वक्ता महात्मा गाधी काशी विद्यापीठ के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. नलिनी श्याम कामिल ने कहा कि यथार्थ को कविता का रूप धूमिल जी ने दिया है। उन्होंने सच को सच की तरह ऐसा बयान किया है कि रचनाओं की प्रासंगिकता बनी हुई है।
मुख्य अतिथि कवि धूमिल के ज्येष्ठ पुत्र डॉ. रत्नशकर पाडेय ने कहा कि ताजा प्रकाशित 'धूमिल समग्र' ने पाठकों को नए सिरे से आकर्षित किया है। इसका संपादन डॉ. पांडेय ने ही किया है। उन्होंने कहा कि 'धूमिल समग्र' से लोगों को पहली बार अपने प्रिय कवि को विस्तार से जानने और उनकी समस्त रचनाएं एक ही साथ पढ़ने का अवसर मिल रहा है। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. रमेश चंद्र ने कहा कि धूमिल का काव्य आदमियत की तमीज सिखाता है। किसी भी बड़ी रचना का प्रारंभ प्रश्न खड़े करने से ही शुरू होता है। इन्हीं प्रश्नों में उनके उत्तर भी छुपे होते हैं। कार्यक्रम में अतिथि द्वय ने इसका विमोचन किया। आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. निलय कुमार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. विनय प्रकाश शर्मा और विषय स्थापन डॉ. स्कंध पाठक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सारिका सिंह ने किया। संगोष्ठी में डॉ. विनोद कुमार राय, डॉ. आदित्य मिश्रा, डॉ. ज्योति मिश्रा, डॉ. लक्ष्मी सिंह, डॉ. शकुंतला सिंह, डॉ. उपेंद्र शर्मा, डॉ. कमला शकर राठौर की उपस्थिति रही। अतिथियों का स्वागत डॉ. नंदलाल शर्मा ने किया।