काशी में बैठेगी शंकराचार्य की धर्म संसद, सीर गोवर्धन में जुटेंगे देश के 1008 प्रतिनिधि
25-27 नवंबर तक धर्म संसद की पहली जुटान के लिए संत रविदास की जन्म स्थली सीर गोवर्धन गांव को चुना गया है, दीर्घा में सर्वधर्म के भी हाेंगे आठ सदस्य होंगे।
वाराणसी [प्रमोद यादव] । धर्मनगरी काशी में अगले माह ज्योतिष व द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की 'धर्म संसद 1008' बैठेगी। उनके आशीर्वाद-आदेश से नवगठित धर्म विचार की इस सर्वोच्च सभा में सनातन धर्म के विभिन्न मुद्दों पर 1008 प्रतिनिधि विचार मंथन करेंगे। धर्म संसद के दो सदनों में क्रमश: पारित प्रस्तावों के आधार पर बतौर परमधर्माधीश शंकराचार्य परम धर्मादेश जारी करेंगे। इसे केंद्र सरकार को देने के साथ ही आमजन के लिए प्रकाशित भी किया जाएगा। 25 से 27 नवंबर तक धर्म संसद की पहली जुटान के लिए संत रविदास की जन्म स्थली सीर गोवर्धन गांव को चुना गया है। अगले वर्ष 29 और 30 जनवरी को प्रयागराज में दूसरी जुटान का खाका खींचा जाने लगा है। यह भी तय किया गया है सनातनधर्मियों के मार्गदर्शन को धर्मसंसद की आगे भी अलग-अलग धर्मस्थलों पर जुटान होती रहेगी।
धर्म विचार की होगी सर्वोच्च सभा : संस्थापक और शंकराचार्य के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नेतृत्व में पहली धर्म संसद की तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि 'धर्म संसद 1008' सनातनियों के मार्गदर्शन के लिए धर्म विचार की सर्वोच्च सभा होगी।
बहुमत व विशेषज्ञ मत भी : धर्म संसद में संसदीय क्षेत्रवार देशभर से सनातन धर्म को जीने और समस्याओं का अनुभव करने वाले 543 धर्मांसद बनाए गए हैं। सनातनधर्म के 281 संतों, नेताओं, विद्वानों के साथ धार्मिक संस्थाओं के 184 प्रतिनिधि-विशिष्टजन भी भागादारी बने हैं।
धर्म संसद में बनाए 1008 आसन : सनातन धर्म के लिए अत्यंत महत्व रखने वाली संख्या 1008 के लिहाज से ही धर्म संसद में इतने आसन बनाए गए हैं। इसमें संसदीय प्रतिनिधियों के बहुमत के बाद वर्तमान लोक रीति-नीति अनुशीलन से विशेषज्ञ मतानुसार प्रस्ताव पारित होंगे। इस पर परमधर्माधीश शंकराचार्य के सानिध्य में आठ सदस्यीय समिति परमधर्मादेश देगी।
संसद की तर्ज पर कार्रवाई : आम सदन में बहुमत से पारित प्रस्ताव विशेषज्ञ सदन में चर्चा के लिए आएंगे। इसकी कार्रवाई संसद की तरह ही चलाई जाएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा में ढाई दशक सेवा दे चुके राजेंद्र पांडेय के नेतृत्व में 18 सदस्यीय समिति बनी है। सवाल-निर्णय समेत संसद की कार्रवाई रिकार्ड करने के साथ प्रकाशित भी होगी।
दीर्घा में सर्वधर्म व राजनीतिज्ञ : धर्म संसद की कार्रवाई में भागीदारी तो सनातनधर्मी सदस्यों की होगी लेकिन दीर्घा में सर्वधर्म के भी आठ सदस्य होंगे। इसके अलावा न्यूनतम दस संसदीय सीट वाले दलों के प्रतिनिधि भी आमंत्रित किए गए हैं। आमजन भी धर्म संसद की कार्रवाई को देख सकेंगे। सीर गोवर्धन में बनाए जा रहे 150 गुणा 150 वर्गफीट के पंडाल में आमजन के लिए भी दीर्घा बनाई जाएगी।
सोशल मीडिया पर होगी रायशुमारी : धर्म संसद में विचार के लिए सोशल मीडिया पर रायशुमारी की जाएगी। इसके लिए 10 नवंबर को धर्म संसद की वेब साइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.धर्मसंसद.इन लांच की जाएगी। फेसबुक, ट्विटर समेत सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर भी सनातन धर्म से जुड़े स्थानीय मुद्दों के प्रति ध्यान आकर्षित कराया जा सकेगा। इसके आधार पर प्राथमिकता के मुद्दे तय किए जाएंगे। इन्हें 15 नवंबर को जारी भी किया जाएगा। फिलहाल, धर्म संसद का प्रतीक चिह्न, ध्वज आदि तय कर लिया गया है।