अगले बरस फिर आने की मनुहार के साथ देवी को विदाई
वाराणसी में शक्ति की अधिष्ठात्री मा जगदंबिका की नौ दिनी आराधना उत्सव के दौरान शकु्रवार को मां की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया जो शनिवार की सुबह तक चलता रहा।
वाराणसी (जेएनएन) : शक्ति की अधिष्ठात्री मा जगदंबिका की नौ दिनी आराधना उत्सव के दौरान पूजा पंडालों में प्रतिष्ठापित मा दुर्गा की प्रतिमाओं का शुक्रवार को गंगा सरोवरों समेत कुंडों-तालाबों में विसर्जन किया गया। सुबह -सवेरे विदायी के निमित्त पूजन-अनुष्ठान व भंडारा किया गया। बंगीय समाज के पंडालों में महिलाओं ने सौभाग्य कामना से सिंदूर खेला की रस्म निभाई। इसमें सुहागिन महिलाओं ने देवी के चरणों में सिंदूर अर्पित करने के उपरात एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन रहने की कामना की। दोपहर बाद से ही आयोजकों द्वारा ट्राली व अन्य वाहनों पर मा दुर्गा के साथ ही भगवान गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमाओं को विराजमान कराकर बाजे-गाजे व ढोल, नगाड़े की गूंज के बीच शोभायात्रा निकाली गई। रास्ते में भक्तों द्वारा मातारानी के जयकारे लगाए गए। खिड़किया घाट व सामने घाट विश्वसुंदरी पुल के नीचे बनाए गए गंगा सरोवरों के साथ ही गणेश पुर पोखरा, पहड़िया पोखरा, ईश्वरगंगी तालाब, मैदागिन स्थित कंपनी बाग, लक्सा स्थित लक्ष्मीकुंड, मछोदरी तालाब, शकुलधारा पोखरा व भिखारीपुर पोखरा, पहड़िया पोखरा, ईश्वरगंगी तालाब, मैदागिन स्थित कंपनी बाग, लक्सा स्थित लक्ष्मीकुंड, मछोदरी तालाब, शकुलधारा पोखरा आदि में मा दुर्गा समेत अन्य प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया। यह सिलसिला शनिवार की सुबह तक चलता रहा। नाचते गाते सुबह तक भक्तों ने मां की प्रतिमाओं को विसर्जन किया। इसी के साथ अगले बरस फिर आने की मनुहार भक्तों ने मां से की। उधर सोनभद्र, गाजीपुर, चंदौली, मऊ, मीरजापुर, आजमगढ़, बलिया सहित आस पास के जिलों में भी शनिवार की सुबह तक दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। ढोल नगाड़ों की गूंज से शनिवार की सुबह भी शहर गुंजायमान रहा।