भारतीय मूल्यों का विकास है नई शिक्षा नीति का लक्ष्य, भारतीय मूल्यों को सर्वोपरि रखा जाएगा
नई शिक्षा नीति का लक्ष्य शिक्षा का भारतीयकरण करना है जिसमें भारतीय मूल्यों को सर्वोपरि रखा जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य शिक्षा का भारतीयकरण करना है, जिसमें भारतीय मूल्यों को सर्वोपरि रखा जाएगा। यह बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने सोमवार को कही। वह एबीवीपी-बीएचयू की ओर से कृषि विज्ञान संस्थान के सेमिनार हाल में आयोजित 'नई शिक्षा नीति' विषयक परिचर्चा को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसमें कौशल परक शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही इसके लिए अलग विश्वविद्यालय स्थापित होने चाहिए, ताकि व्यवसायिक छात्र तैयार हो सकें, कामगार नहीं।
अखिल भारतीय विवि प्रमुख श्रीहरि बोरिकर ने कहा कि भारत का अतीत बहुत ही शानदार रहा है। बात चाहे दर्शन की हो, विज्ञान या चिकित्सा की, हमारे पौराणिक ग्रंथ सुनहरे इतिहास की गाथा कहते हैं। इसलिए नई शिक्षा नीति में पौराणिक ग्रंथ गीता, रामायण के साथ अन्य ग्रंथों को भी शामिल करना चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को भारत के गौरवशाली इतिहास से परिचित होने का मौका मिल सके। क्षेत्रीय संगठन मंत्री रमेश गड़िया ने कहा कि शिक्षा समाज के हित में हो, जिसमें भारत में व्याप्त समस्याओं का समावेशी समाधान हो।
देश के किसी भी कोने में छात्र-छात्राओं के पास सभी क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा एवं शोध का विकल्प होना चाहिए। वहीं प्रांत संगठन मंत्री विजय प्रताप ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य राष्ट्र पुनर्निर्माण होना चाहिए। ऐसा तभी होगा जब छात्र व शिक्षक दोनों गुरु-शिष्य परंपरा का हिस्सा बनें। स्वागत प्रो. अरविंद कुमार जोशी व संचालन साक्षी सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. डीसी राय, कौशल किशोर मिश्र, आद्या प्रसाद पांडेय, मनीष मल्होत्रा, निशा सिंह, विवेक पाठक, अरुण चौबे, भानु प्रताप सिंह, अरविंद पांडेय, अधोक्षज पांडेय, पुनीत मिश्र आदि थे।
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