छोटे व मध्यम उद्योगों के जरिए पूर्वांचल का विकास, हालात से उबारने की तैयारी में सरकार
नई सरकार में गठित तीन नई समितियों को निवेश रोजगार और कौशल विकास की जिम्मेदारी देश समेत पूर्वांचल में एमएसएमई को विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है।
वाराणसी, जेएनएन। नई सरकार में गठित तीन नई समितियों को निवेश, रोजगार और कौशल विकास की जिम्मेदारी देश समेत पूर्वांचल में एमएसएमई को विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। विभागीय जानकारी के मुताबिक इसमें कलस्टर, अत्याधुनिक प्रशिक्षण, कार्यशाला व आनलाइन प्रक्रिया पर विशेष ध्यान देकर छोटे व मध्यम उद्योगों के जरिए रोजगार बढ़ाने पर ध्यान होगा।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में वाराणसी समेत प्रदेश में भाजपा की शानदार सफलता के बाद सरकार, नितिन गडकरी को एमएसएमई की जिम्मेदारी देकर निवेश, रोजगार और कौशल विकास को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश में जुट गई है। इससे वाराणसी के छोटे व लघु उद्यमियों में भी उत्साह का संचार हुआ है।
तब मिनी यूरोप होगा पूर्वांचल
बनारस के उत्पादों की मांग वैश्विक है। इसमें अमेरिका से आस्ट्रेलिया तक के देश शामिल हैं लेकिन, बहुसंख्य श्रमिक और औद्योगिक संसाधनों से युक्त पूर्वांचल का विकास अभी भी यूरोपीय देशोंं की तुलना में कोसों पीछे हैं। दरअसल, 23 करोड़ आबादी वाले पूर्वांचल से फ्रांस 6.69 करोड़, जर्मनी 8.28, बेल्जियम 1.14, डेनमार्क 57 लाख, आस्ट्रिया 2.46 करोड़, कनाडा 3.65 करोड़ भी छोटे हैं लेकिन, दूध, आटोमोबाइल, कपड़े व फैशन उत्पाद व चाकलेट उत्पादन में देश विश्व में अग्रणी हैं। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार स्थानीय संसाधनों में पूंजी निवेश कर रोजगार बढ़ाए।
बोले उद्यमी
- रोजगार व कौशल विकास के जरिए इस क्षेत्र की बहुत बड़ी समस्याओं के हल निकाले जा सकेंगे। इससे अर्थव्यवस्था वैश्विक हो जाएगी।- हर्षपाल कपूर, उद्यमी।
- पंजाब के बाद बनारस में कृषि यंत्रों का निर्माण ज्यादा होता है लेकिन, मांग के अनुरूप नई तकनीक न होने से क्षेत्र अभी तक पिछड़ा हुआ है।- राजेश सिंह, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती।
- गुजरात की तर्ज पर यहां सर्वसुविधायुक्त इंडस्ट्रीयल एस्टेट विकसित करने की आवश्यकता है, जिसमें बिजली, पानी, सीवर एवं एसटीपी प्लांट लगे हों।- नीरज पारिख, महामंत्री, दी स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन।
बोले अधिकारी : निश्चित रूप से एमएसएमई के लिए नए-नए काम होंगे। और वह व्यापक स्तर पर शुरू होंगे। इसके लिए काम अब आज से शुरू भी हो जाएंगे। - वीके वर्मा, उप निदेशक, एसएमएमई।
पूर्वाचल में संभावनाएं : बनारसी साड़ी, इम्ब्राइडरी, कृषि यंत्र, हस्तशिल्प, पंखें, दरी, काष्ठ के खिलौने, गुलाबी मीनाकारी, मिट्टी व ऐश की ईंटें।
क्या हैं जरूरतें : औद्योगिक आस्थानों की जरूरत, आइटी पार्क बनाया जाए, नई तकनीक के हों हस्तातंरण, प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, तकनीकी उन्नयन मंत्रालय।
बड़ी समस्याएं : उद्योगों की स्थापना में जमीन आड़े, अविकसित पानी, सीवर, एसटीपी प्लांट।
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