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काशी में सात नवंबर को ही मनाया जाएगा देव दीपावली उत्सव, विद्वत परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक में निर्णय

काशी में देव दीपावली उत्सव इस बार सात नवंबर को मनाया जाएगा। तिथि को लेकर बन रही भ्रम की स्थिति का निवारण करते हुए रविवार को श्रीकाशी विद्वत परिषद ने निर्णय दिया। परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक में पूर्णिमा के पर्व-उत्सवों के निर्धारण पर विचार विमर्श किया गया।

By pramod kumarEdited By: Saurabh ChakravartyPublished: Sun, 25 Sep 2022 09:16 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 09:16 PM (IST)
काशी में सात नवंबर को ही मनाया जाएगा देव दीपावली उत्सव, विद्वत परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक में निर्णय
काशी में देव दीपावली उत्सव इस बार सात नवंबर को मनाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : काशी में देव दीपावली उत्सव इस बार सात नवंबर को मनाया जाएगा। तिथि को लेकर बन रही भ्रम की स्थिति का निवारण करते हुए रविवार को श्रीकाशी विद्वत परिषद ने निर्णय दिया। परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक में कार्तिक पूर्णिमा तिथि में चंद्र ग्रहण की स्थिति में पूर्णिमा के पर्व-उत्सवों के निर्धारण पर विचार विमर्श किया गया।

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विद्वानों ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा सात नवंबर को दोपहर 3:58 से आरंभ होकर आठ नवंबर की शाम 3:53 बजे तक मिल रही है। इसके अलावा आठ नवंबर को खग्रास चंद्रग्रहण भी लग रहा है। विद्वानों ने तिथि मान एवं धर्म शास्त्रीय उद्धरणों का अवलोकन करते हुए निर्णय सिंधु के उल्लेखानुसार पूर्णिमायां तु संध्यायां कर्तव्यस्त्रिपुरोत्सव: आदि शास्त्रीय प्रमाणों का अवलोकन किया।

सायंकाल व्यापिनी पूर्णिमा में ही त्रिपुरोत्सव

भार्गवर्चनदीपिका के उद्धरण पर विचार विमर्श किया गया। व्रतराज के वचन ‘त्रिपुरोत्सव: प्रदोषव्यापिन्यां पुर्णिमा यां कार्य:’ का भी उल्लेख किया। इन सबका आकलन करते हुए तय किया कि सायंकाल व्यापिनी पूर्णिमा में ही त्रिपुरोत्सव अर्थात देव दीपावली का आयोजन किया जाता है। इसलिए निसंदेह रूप में सात नवंबर को ही देवदीपावली आयोजित होना शास्त्र सम्मत है। प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय, प्रो. विनय कुमार पांडेय, प्रो. सुभाष पांडेय, प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो. राम किशोर त्रिपाठी आदि विद्वानों ने शास्त्र के वचनों को उपस्थापित करते हुए निर्णय दिया। विषय का उपस्थापन व संयोजन महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने किया।

चंद्रग्रहण और स्नान से व्यवधान

आठ नवंबर को शाम तक चंद्रग्रहण और उसके बाद गंगा के घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ को देखते हुए देवदीपावली आयोजन से जुड़ी संस्थाएं व समितियां पहले ही सात नवंबर को देवदीपावली मनाने का निर्णय ले चुकी हैं। अपने फैसले से पुलिस व जिला प्रशासन को भी अवगत करा दिया है।

सैलानियों को दोहरी चपत

देवदीपावली के लिए होटलों में बुकिंग छह माह पहले से हो चुकी है। हालांकि सर्वाधिक बुकिंग सात व आठ नवंबर को है। इससे खास दिक्कत तो नहीं लेकिन फ्लाइट या ट्रेन का शेड्यूल शाम तक बनारस आने का होने से उनके आने तक उत्सव खत्म हो चुका होगा। वहीं जिन लोगों ने सिर्फ आठ नवंबर की बुकिंग कराई है, उनके सामने दिक्कत यह है कि त्योहार के बाद आकर क्या करेंगे। ऐसे में होटलों से डेट चेंज करने के लिए संपर्क कर रहे हैं। इसे मैनेज करने में होटलों को भी पसीने छूट रहे हैं।


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